हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ लंबे समय से चले आ रहे मतभेद की खबरों के बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक तंवर ने मुख्यमंत्री पद के लिए परोक्ष रूप से अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा है कि राज्य के दलित, पिछड़े और दूसरे वंचित वर्गों की यह आकांक्षा है कि अगला मुख्यमंत्री उनके बीच से बने.
तंवर ने मुख्यमंत्री पद के बारे में फैसले को कांग्रेस नेतृत्व का विशेषाधिकार करार दिया, लेकिन साथ ही कहा कि अगले साल प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बिना किसी चेहरे के जनता के बीच जाना चाहिए. चुनाव में जीत के बाद जनभावनाओं के अनुसार मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का फैसला किया जाना चाहिए.
उन्होंने ‘भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ” राहुल गांधी जी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री की बात आए तो पांच-सात विकल्प होने चाहिए. विधायक और सांसद बनने की बात आए तब भी कई विकल्प होने चाहिए. अलग अलग वर्गों से हमारे पास विकल्प होने चाहिए. मुख्यमंत्री पद के दौड़ में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ”मैं अपनी दावेदारी क्यों खारिज करूं? राहुल जी ने कठिन समय में मुझे अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. हरियाणा के दलितों, पिछड़ों और वंचित वर्गों की यह अकांक्षा और सपना है कि मुख्यमंत्री उनके बीच से हो. इसी भावना के साथ लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं. जिन लोगों को कभी भागीदारी नहीं मिली उसको मौका मिलना चाहिए.
चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के सवाल पर तंवर ने कहा, ”मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का विशेषाधिकार कांग्रेस अध्यक्ष और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का है. अमूमन यह देखा गया है कि जहां हम विपक्ष में होते हैं वहां हम बिना चेहरे के चुनाव में जाते हैं. इसके बाद जनता का विश्वास जिसके ऊपर होता है वही अगला मुख्यमंत्री होता है. मैं समझता हूं कि (हरियाणा में भी) पार्टी के लिए यही बेहतर है.
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