नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सात दिन के हड़ताल पर दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. दिल्ली में राज्य सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही खींचतान को लेकर अब दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ये धरना है या हड़ताल और क्या इसकी कोई अनुमति ली गई या खुद ही तय कर लिया गया.
इस मुद्दे पर कोर्ट ने पूछा कि अगर ये खुद व्यक्तिगत रूप से तय किया गया फैसला है तो ये एलजी के घर के बाहर होना चाहिए था. क्या एलजी के घर के अन्दर ये धरना करने के लिए इजाजत ली गई है? हाईकोर्ट ने कहा कि आप कैसे किसी के घर या दफ्तर में जाकर हड़ताल पर बैठ सकते हैं. उन्होंने सीधा सवाल किया कि जैसे ट्रेड यूनियन अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठती है, क्या ये वैसी ही हड़ताल है. धरने पर बैठने का फ़ैसला कैबिनेट का है या ये व्यक्तिगत फ़ैसला है. कोर्ट की ओर से कहा गया है कि इसका जल्द से जल्द कोई समाधान ढूंढा जाना चाहिए.
जान लें कि एलजी से ना मिल पाने पर रविवार को आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री आवास को घेरने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें संसद मार्ग से आगे नहीं बढ़ने दिया. साथ ही इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खबर की पुष्टि की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “सत्येंद्र जैन को खराब स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है.” अरविंद केजरीवाल के इस आंदोलन को अब देश के कई अन्य नेताओं का समर्थन मिलना शुरू हो गया है. रविवार को नीति आयोग की बैठक के लिए नई दिल्ली पहुंचे कर्नाटक सीएम एच.डी. कुमारस्वामी, आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू, केरल सीएम विजयन और बंगाल की ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में बात भी की.
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