नई दिल्ली। बिहार के तीन ऐसे युवाओं की कहानी बताने जा रहा हूं, जो किसी लड़की के नहीं बल्कि धरती के दिवाने हैं. कहानी ऐसी ही हैं, ये तीन युवा पर्यावरण को बचाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ा, तो कोई करोड़ों का मोह त्याग दिया और एक युवा तो और भी पागल; जो कि धरती के लिए छुट्टी लेता है. पर्यावरण दिवस पर रवि रणवीरा, ‘दलित दस्तक’ की बात इन तीनों युवाओं से हुई और इन्होंने कुछ यूं जाहिर की अपनी पर्यावरण प्रेम कहानी…
करोड़पति का चंपा प्रेम
‘कौन बनेगा करोड़पति’ (केबीसी) के विजेता सुशील कुमार, मोतिहारी चंपारण को फिर से जिंदा करने में जुटे हैं. चंपारण की असली पहचान को बचाने के लिए ‘चंपा अभियान’ शुरू किए हैं. इनका कहना है कि चंपारण का अर्थ होता है चंपा+अरण्य लेकिन आधुनिक काल में चंपारण के लोग ही अपना अस्तित्व खो दिए हैं. औषधिय गुण से भरपूर पौधे को लगाने का काम 27 अप्रेल, 2018 को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता व प्रथम ग्रीन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मेधा पाटकर के हाथों आरंभ कराया और अबतक करीब 30 हजार चंपा के पौधे चंपारण भर में लगा चुके हैं. इनका कहना है कि चंपारण को चंपा से सजाकर ही दम लेंगे. इनके साथ देश-विदेश के युवा भी जुड़कर ‘चंपा-अभियान’ को आगे बढा रहे हैं. सुशील कुमार कहते हैं कि पार्किंग के साथ-साथ एक पेड़ के लिए भी घर में जगह होनी चाहिए.
प्रेमिका के लिए नहीं बल्कि…
दुसरे ऐसे युवा की कहानी है जो कि अपनी प्रेमिका के लिए नहीं बल्कि खेत-खलिहान को बचाने के लिए छुट्टी लेता है. पीयूष तिवारी बताते हैं कि प्राइवेट जॉब में छुट्टी लेना बहुत मुश्किल होता है लेकिन मिट्टी को बचाने के लिए टाइम मैनेज कर दो-तीन माह में गांव जाता हूं और लोगों को जैविक खेती की ट्रेनिंग देता हूं. इसके साथ-साथ मुफ्त में मिट्टी जांच करता हूं. इसके अलावा लोगों को मुफ्त में जैविक खाद आदि भी देते हैं. प्राइवेट जॉब के पैसे को बचाकर जैविक खेती की परंपरा को पुनः जीवित करने के लिए पीयूष तिवारी जी-जान से जुटे हैं. इनकी मेहनत के कारण ही हालही में इनको कृषि मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम स्टार्ट अप इंडिया एग्रीकल्चर ग्रांड चैलेंज में कृषि समस्याओं के निदान पर सुझाव देने के लिए नई दिल्ली में शामिल किया गया और आईआईएम कोलकाता व टीएसटी द्वारा आयोजित स्मार्ट-50 में इनकी संस्था सेनटायल बायोटेक को टॉप-3000 स्टार्ट अप में शामिल किया गया. पीयूष तिवारी व इनकी टीम का कहना है कि मिट्टी को रसायनिक खाद के जहर से बचाने के लिए हम लोग ताउम्र काम करेंगे. क्योंकि मिट्टी के बिना किसान व जीवन की कल्पना करना असंभव है.
और लगा दिए 23 हजार पौधे
एक तरफ जहां हमारे युवा सरकारी नौकरी पाने के लिए सालों-साल पागलों की तरह मेहनत कर रहे हैं तो वहीं राजेश कुमार सुमन सरकारी नौकरी छोड़कर गांव लौट आए और सेल्फी विद ट्री नामक अभियान शुरू कर दिया. इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए रिश्तेदारों के शादी-पार्टी में पौधे गिफ्ट करते हैं. अबतक करीब 22-23 हजार पौधों को लगवाया जा चुका है. 05 मई, 2018 मंगलवार को बिहार के सभी जिलों में इनकी संस्था की ओर से 10 हजार पौधे लगवाएं. साथ ही रैली निकाली गई. आज इस अभियान के साथ लाखों लोग जुड़कर बिहार के अलग-अलग हिस्सों में वृक्षारोपण कर रहे हैं. राजेश कुमार सुमन का कहना है कि धरती को बचाने व सजाने के लिए हमारा प्रयास जारी है. जिस तरह लोग हमारे अभियान के साथ जुड़कर पौधा लगा रहे हैं उसे देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में धरती एक बार फिर श्रृंगार कर सज-संवर जाएगी.
इसे भी पढ़ें-मोदी के कृषि मंत्री ने किसान आंदोलन को बताया…