लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यंमत्री मायावती और अखिलेश यादव को अब अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ेगा. इन दोनों की तरह की अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और एनडी तिवारी को भी अब सरकारी बंगले को छोड़ अपना अलग आशियाना ढूंढ़ना होगा. गैर सरकारी संस्थान (NGO) लोक प्रहरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार का पहले का अदेश रद्द कर दिया है. गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी ने 2004 में याचिका लगाकर इसे रद्द करने की मांग की थी. कोर्ट ने 2014 में इस पर सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन अपना आदेश सुरक्षित रखा था. अब कोर्ट के आदेश के बाद करीब 7 पूर्व मुख्यमंत्रियों या उनके परिवारों को दो महीने में सरकारी बंगले खाली करने होंगे.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार का संशोधित कानून रद्द करने की मांग की थी. उसका कहना था कि ऐसा नहीं किया गया तो इसका दूसरे राज्यों पर भी असर होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगला हासिल करने के हकदार नहीं हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2016 में भी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगले खाली करने का आदेश दिया था. इस पर अखिलेश सरकार ने पुराने कानून में संशोधन कर यूपी मिनिस्टर सैलरी अलॉटमेंट एंड फैसेलिटी अमेंडमेंट एक्ट 2016 विधानसभा से पास करा लिया था. इसमें सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित करने का प्रावधान किया गया था.
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