एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी भाजपा विरोधी गठबंधन तैयार करने में जुटी है तो वहीं ममता बनर्जी भाजपा और कांग्रेस से इतर तीसरे मोर्चे की कवायद में दिल्ली में जमी हैं. असल में ममता बनर्जी ऐसा खुद को बचाने और भाजपा पर दबाव बनाने के लिए कर रही हैं. पश्चिम बंगाल में भाजपा और संघ ने जिस तरह से आक्रामक रणनीति अपनाई है, ममता उससे डरी हुई हैं.
इसकी झांकी रामनवमी की उस झांकी में देखने को मिली, जिसमें भाजपा ने हिदुत्व के झंडे तले एक बड़े वर्ग को एकजुट कर लिया था. अकेले कोलकाता में छह विशाल रैलियां निकाली गई. इसके अलावा प्रमुख शहरों और जिला मुख्यालयों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी उसी उत्साह से रैलियां देखी गई.
तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी दीदी के गढ़ पश्चिम बंगाल में अपने संगठन में बड़ा विस्तार कर लिया है. खबर है कि पिछले एक साल के भीतर आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में250 शाखा खोला है, जिनमें नियमित रूप से संघ की गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है.
संगठन का विस्तार सबसे ज्यादा उन इलाकों में हुआ है, जहां गरीबी या शिक्षा व्यवस्था की कमी लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है. आंकड़ों की बात करें तो आरएसएस ने सबसे ज्यादा विस्तार पश्चिम बंगाल के हुगली और दुर्गापुर जिलों में किया है. इन जिलों में संघ 2016 तक करीब1100 शाखाओं का संचालन करता था जिनकी संख्या अब 1350 के आंकड़े को भी पार कर चुकी है. जाहिर है इन पिछड़े इलाकों में लोगों से जुड़कर संघ उनकी इस दशा के लिए हालिया ममता बनर्जी की सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा.
संघ और भाजपा की यही घेराबंदी ममता बनर्जी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है. ममता बनर्जी को डर है कि कहीं हिन्दुत्व की लहरों पर सवार और संघ की जमीनी घेराबंदी से 2019 लोकसभा चुनाव और फिर बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के हाथ से प्रदेश की सत्ता न निकल जाए. अपने दिल्ली दौरे से ममता बनर्जी भाजपा पर कितना दबाव बना सकती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।