Wednesday, February 5, 2025
HomeTop Newsस्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ले रही है जान

स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ले रही है जान

मृतक लड़की वेदवती

आज गर्मियों की छुट्टियों के बाद कॉलेज आया तो एक दुःखद खबर मिली. जिस गांव में रहता हूँ उसके थोड़ी ऊपर जाकर दूसरे एक गांव में एक घर है जहाँ यह बालिका जिसका फ़ोटो यहाँ साझा कर रहा हूँ, (फेसबुक से साभार) इसका नाम वेदवती था. जी हाँ, ‘था’. क्योंकि यह 21 वर्षीय बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है. यहां आकर पता चला कि 3 दिन पहले ही इसका आकस्मिक निधन हो गया. पेंटिंग का शौक रखने वाली यह बच्ची ग्राफिक एरा, देहरादून से पेंटिंग ऑनर्स में ग्रेजुएशन कर रही थी. इसकी पेंटिंग इसकी प्रोफाइल पर जाकर देखेंगे तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना बड़ा भावी कलाकर इसके भीतर छिपा था. कितनी प्रतिभा थी इस बच्ची में.

अब बात आती है इसमें खास बात क्या हुई, रोजाना ही यहाँ कोई न कोई दुनिया छोड़ जाता ही है. बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप. जिस कारण इस बच्ची की मौत हुई उस कारण पर आपका ध्यान केंद्रित कराना इस पोस्ट का मकसद है. जहाँ मैं रहता हूँ वो उत्तराखंड का एक दुर्गम स्थान है जहाँ कोई मेडिकल फैसिलिटी नहीं है. अस्पताल के नाम पर 3-4 कमरों में चलने वाला एक आयुर्वेदिक हॉस्पिटल है, जो शाम 5 बजे बंद हो जाता है. ले देके एक छोटा सा मेडिकल स्टोर है जहाँ सभी दवाइयां मिलना असम्भव है. यदि इस क्षेत्र में कोई अच्छा अस्पताल होता तो आज यह बालिका हम सबके बीच होती.

हुआ यह कि इस बच्ची की तबियत रात 10 बजे खराब हुई, (स्थानीय लोगों ने बताया कि उसे सांप ने काटा, किसी ने कहा ब्रेन हेम्ब्रेज हुआ, कुल मिलाकर वो अचानक फर्श पर गिर पड़ी) चूंकि यहाँ सबसे नजदीक बेहतर हॉस्पिटल ऋषिकेश एम्स है जो यहाँ से 90 किमी दूर है, बरसात के मौसम में 4 से 5 घण्टे में पहुंचा जाता है. जब तक इस बच्ची को हॉस्पिटल ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की गयी, उसे के जाया गया तो रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया, जिसकी पुष्टि एम्स के डॉक्टरो ने की. उन्होंने कहा थोड़ी देर पहले लाते तो शायद बच जाती, पर उन्हें कौन बताएं कि रात में यहाँ से ऋषिकेश पहुंचना बहुत मुश्किल है.

 टाइम से गाड़ी भी नहीं मिल पाती. और 108 तो कभी यहाँ आती ही नहीं. अब मुख्य प्रश्न यह हमारे सामने है कि यहाँ रहने वालों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि अचानक यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाये और वह भी रात को, तब अधिकांश केस में मरीज अपनी जान से चला जाता है. इसमें दोषी कौन है? इस बात के बजाए, ध्यान इस पर जाए कि किया क्या जाए? इस पोस्ट के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से यही निवेदन है कि ऐसे दुर्गम स्थानों को चिन्हित कर एक बेहतर आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण एक अस्पताल तो बनवाने की उचित कार्रवाई तुरन्त करें, और दूसरा 108 की 24 घण्टे व्यवस्था हर क्षेत्र में रहनी ही चाहिये, जिससे समय रहते मरीज को प्राथमिक चिकित्सा मिल सके और समय से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जा सके.

यह आलेख सिर्फ मन की पीड़ा को साझा करना भर नहीं है, बल्कि लिखने का उद्देश्य यह भी है कि यह संदेश उत्तराखंड सरकार से लेकर केंद्र तक पहुंच सके. देश में हर व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए. यह देश के हर व्यक्ति का हक है. आखिर इस दिशा में सरकारें कब सोचेंगी?

लोकप्रिय

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Skip to content