Tuesday, February 4, 2025
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भारत और अफगानिस्तान के बीच शुरू हुआ पहला हवाई कॉरिडोेर

काबुल। अफगानिस्तान और भारत के बीच ‘एयर कार्गो कॉरिडोर’ के उद्घाटन के बाद एक एयरक्राफ्ट 60 टन हींग के साथ नई दिल्ली पहुंचा.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कार्गो विमान को दिल्ली के लिए रवाना कर इस गलियारे का उद्घाटन किया. इस मौके पर एयरक्राफ्ट की अगवानी के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, नागरिक उड्डयन मंत्री गजपति राजू, विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर वहां मौजूद थे.

हवाई कॉरिडोर दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के साथ चारों ओर से जमीन से घिरे अफगानिस्तान को भारत के बाजारों तक पहुंच देगा. इससे अफगानिस्तान के किसानों को खराब होने वाली वस्तुओं की भारतीय बाजारों तक जल्द और सीधी पहुंच से लाभ होगा.

यह रूट पाकिस्तान को बाईपास करता है. राष्ट्रपति घनी ने कहा, इस रूट से अफगानी निर्यात के लिए और मौके बढ़ेंगे. राष्ट्रपति घनी के सलाहकार सदीकुल्लाह मुजाहिद ने बताया, सोमवार को भारत रवाना हुए विमान से 60 टन औषधीय पौधे भेजे गए. अफगानिस्तान चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है. इसलिए उसे अपने आयात और निर्यात के लिए पड़ोसी देशों पर निर्भर रहना पड़ता है. चूंकि उसके संबंध पाकिस्तान के साथ ठीक नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान अफगानिस्तान के भारत के साथ कारोबार में बाधा खड़ी करता है. ऐसे में इस हवाई गलियारे से पाकिस्तान की इस मनमानी पर रोक लगेगी और दोनों देशों के कारोबार में बढ़ोतरी होगी.

2016 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच इस कॉरिडोर पर निर्णय लिया गया था. मोदी ने ट्वीट करके कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच सीधा हवाई संपर्क समृद्धि की राह खोलेगा. पीएम ने कहा, ‘मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को उनकी इस पहल के लिए धन्यवाद देता हूं.’

राष्ट्रपति बनने के बाद अशरफ गनी पहली बार 2016 में भारत दौरे पर आए थे. तभी एयर कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया था. इससे पहले सड़क के जरिए अफगानिस्‍तान से प्रोडक्‍ट भारत आते हैं. अब तक अपने विदेशी व्‍यापार के लिए अफगानिस्‍तान पड़ोसी देश पाकिस्‍तान के पोर्ट पर निर्भर है. इसे भारत तक पहुंचने के लिए पाकिस्‍तान के जरिए आना पड़ता है लेकिन इस मार्ग से भारत को वहां सामान निर्यात की अनुमति नहीं है. नए एयर कॉरिडोर के जरिए अफगानिस्‍तान और भारत के बीच व्यापार को तीन साल में 800 मिलियन से 1 बिलियन और अगले दस सालों में 10 बिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य है.

अगले हफ्ते कंधार से दूसरी कार्गो 40 टन सूखे फल के साथ भारत आएगा. मांग के अनुसार, हर हफ्ते काबुल और कंधार से अनेकों कार्गो विमान भारत आएंगे. अफगानिस्‍तान में भारतीय राजदूत मनप्रीत वोहरा ने राष्‍ट्रपति अशरफ गनी को कहा, ‘हम विभिन्‍न तरीकों से आपकी सहायता जारी रखेंगे.‘

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