बंगलुरू। कर्नाटक चुनाव में जहां सत्ता की चाबी जनता के हाथ में है तो वहीं सत्ता तक पहुंचने का रास्ता जनता के अलावा तमाम मठों से भी होकर गुजरता है. प्रदेश के तमाम लोग अपना फैसला उस मठ के आदेश के बाद लेते हैं, जिसके वो फॉलोअर होते हैं. यही वजह है कि राजनीतिक दल तमाम मठों में माथा टेक रहे हैं. लेकिन इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से आगे निकल गए हैं.
बीते मंगलवार को राहुल गांधी और अमित शाह जनसभाओं के अलावा मठों में पहुंचे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हवेरी जिले के कनक गुरुपीठ गए. हालांकि, यहां उन्हें गुरुपीठ के मुख्य स्वामी श्री श्री निरंजनानंद पुरी से आशीर्वाद नहीं मिल पाया. दरअसल, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुख्य स्वामी यहां मौजूद ही नहीं थे. लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मुख्य पुजारी से मिलने का मौका मिल गया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर इस मुलाकात की फोटो भी शेयर की है. मठ के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी का कार्यक्रम बहुत पहले से निर्धारित था, यही वजह रही कि अमित शाह के पहुंचने पर मुख्य स्वामी उपलब्ध नहीं हो पाए.
कनक गुरुपीठ पिछड़े समुदाय का सबसे असरदार मठ माना जाता है. यही वजह है कि यहां के मुख्य स्वामी से मुलाकात होने और न होने के भी बड़े राजनीतिक मायने हैं. गौरतलब है कि राज्य के सभी 30 जिलों में मठों का जाल फैला हुआ है. जातीय समीकरण के लिहाज से मठों का अपना प्रभुत्व और दबदबा है, जो राजनैतिक दलों को उनकी ओर आकर्षित करता है. राज्य में 12 मई को 224 सीटों पर मतदान होना है. जबकि वोटों की गिनती 15 मई को होगी.
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