नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद जस्टिस के एम जोसेफ का नाम लौटा देने और इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने के बाद मामला बिगड़ गया है. इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से जुड़े करीब 100 वकीलों इसके खिलाफ उतर गए हैं. इन सभी वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर तुरंत इस मामले पर सुनवाई करने और इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.
पूर्व सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह ने इस मामले की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में की. मामले में पैरवी करते हुए इंदिरा जय सिंह ने कहा कि उनका मकसद इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति को रोकना या टालना नहीं है बल्कि जस्टिस जोसेफ के मामले में केंद्र सरकार के कदम से न्यायपालिका को बांटने की कोशिश से रोकना है. हालांकि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अदालत ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इससे पहले कानून मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस जोसेफ को प्रोन्नति देने का यह सही समय नहीं है.
उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में 10 जनवरी को पांच जजों की कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के. एम. जोसेफ और सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने के लिए सिफारिश की थी. इसके बाद कानून मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू की और सिर्फ इंदु मल्होत्रा की फाइल की आईबी जांच पूरी करवाई. केंद्र ने कॉलेजियम को जस्टिस जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार करने का अनुरोध करते हुए फाइल फिर से सुप्रीम कोर्ट भेज दी.