चतरा। झारखंड स्थित चतरा के 27 वर्षीय आदिवासी एक्टिविस्ट सुरेश उरांव की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. सुरेश की हत्या गुरुवार 7 जून की सुबह हुई. सुरेश काफी समय से खनन माफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे. आशंका है कि सुरेश की हत्या के पीछे उन्हीं का हाथ है. पिछले कुछ वर्षों में झारखंड में जल, ज़मीन, जंगल का मुद्दा ऊठाने वाले लोगों पर हमला बढ़ गया है.
सुरेश उराव भी हजारों आदिवासियों की तरह विस्थापन का दर्द झेल रहा था और मुवावजे की लड़ाई लड़ रहा था. विकासपरक विस्थापनों के संबंध में एक अवधारणा यह भी है कि मुख्यधारा के लोग सुरेश जैसे लोगों को विकास की राह में बाधा समझते हैं और सही बात के लिए लड़ते हुए भी इन्हें एक सिरे से नकार दिया जाता है. विकासात्मक दृष्टिकोण रखने वाले लोग आदिवासी समुदाय को हाशिये में ढकेल दिए जाने की प्रायः अनदेखी करते हैं.
छोटा नागपुर, नियामगिरी, बस्तर, सिंगरौली और अब दुद्धि (सोनभद्र) का अमवार सभी जगह प्राकृति के लिए लड़ाई लड़ने वालों की कहानी एक सी है, जबकि विस्थापितों के लिए ऐसी परियोजनाए अक्सर नकारात्मक परिणाम लाती है. उन्हें आर्थिक बदहाली और मानसिक अवरोध का सामना करना पड़ता है, जबकि यदि सरकार जमीनी स्तर पर ठोस कार्य करे तो निश्चय ही देश और विस्थापितों दोनों का ही विकास होगा.
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