चतरा। झारखंड में सर्व शिक्षा अभियान में साढ़े पांच करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है. 181 स्कूलों में 270 कमरों के निर्माण के लिए यह राशि आवंटित की गई थी, लेकिन इसकी बंदरबांट कर ली गई. कुछ गांवों में निर्माण का काम हुआ भी तो आधा-अधूरा. कहीं प्लींथ तक तो कहीं लिंटर तक काम हुआ.
सूत्रों की मानें तो अधिकांश विद्यालय प्रबंधन समितियों के अध्यक्ष व सचिवों ने ही राशि की निकासी कर बंदरबाट कर ली. 100 से अधिक ऐसे सचिव हैं, जो सेवानिवृत हो चुके हैं. वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी बदल चुके हैं. अधूरे निर्माण और गड़बड़ी के नतीजे को भांपते हुए अधिकांश कनीय अभियंता और सहायक अभियंताओं ने या तो अपना तबादला करवा लिया या फिर खुद ही उनका तबादला हो गया.
अब जब मामला सामने आया तो शिक्षा समितियों को दी गई राशि में करीब 5.50 करोड़ रुपये का हिसाब ही नहीं मिल रहा है. खास यह कि अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए सात करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी देते हुए विद्यालयों की प्रबंध समितियों को बतौर अग्रिम पांच करोड़ 48 लाख 19 हजार 498 रुपये दिए गए थे, मगर एक भी कमरे तैयार नहीं हो पाया.
इस अग्रिम का ही कोई हिसाब नहीं मिल रहा. झारखंड शिक्षा परियोजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अग्रिम के समायोजन को लेकर विद्यालय प्रबंधन समितियों को लगातार पत्र लिख रहे हैं, मगर उसका जवाब नहीं मिल रहा. अग्रिम के समायोजन को लेकर उपायुक्त संदीप सिंह ने सितंबर में ही सर्व शिक्षा अभियान की समीक्षा के दौरान जिला शिक्षा अधीक्षक को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन उन्हें रिपोर्ट मुहैया नहीं कराया जा रहा है.

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