कोलकाता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सीएस कर्णन को कम से कम 6 माह के लिए जेल में रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जमानत देने या सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि सात जजों की संविधान पीठ ने उन्हें छह महीने की सजा सुनवाई है. ऐसे में ये बेंच उस आदेश पर कोई सुनवाई नहीं कर सकती. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी न्यायिक अनुशासन के तहत काम कर सकता है. अगर कोई भी राहत लेनी है तो चीफ जस्टिस के सामने केस को रखना होगा. मंगलवार को ही जस्टिस कर्णन को कोयम्बटूर से गिरफ्तार किया गया है.
9 मई को सात जजों की बेंच ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी, लेकिन तभी से वह फरार चल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस कर्णन की ओर से वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मंगलवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने या सजा को निलंबित करने के लिए मना कर दिया है.
गौरतलब है कि 23 जनवरी को जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वर्तमान 20 जजों की लिस्ट भेजी थी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस कर्णन को अवमानना नोटिस जारी किया था. नौ फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी होने के बाद इस कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखा. इस खत में कहा गया है कि हाई कोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है. जस्टिस कर्णन ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर के रिटायर होने के बाद होनी चाहिए. अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद रेफर किया जाना चाहिए. इस दौरान न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस कर दिए जाने चाहिए. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली सात जजों की बेंच पर सवाल उठाते हुए जस्टिस कर्णन ने उन पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 6 माह तक जमानत न देने का फैसला किया है..
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