नई दिल्ली। नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी आज 3 मई को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित है. इसके लिए सभी विजेता एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं. लेकिन दिल्ली पहुंचने के बाद मिली एक खबर ने इन विजेताओं को परेशान कर दिया है, जिसके बाद आधे से ज्यादा कलाकारों ने अवार्ड लेने से इंकार कर दिया.
असल में सभी कई विजेता इस बात से नाराज हैं कि इवेंट में 140 विजेताओं में से सिर्फ 11 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मान मिलेगा. बाकी को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों अवॉर्ड दिया जाएगा. नाराज विजाताओं ने इवेंट के बहिष्कार की धमकी दी है. उनका कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है. इस साल किया गया बदलाव उन्हें मंजूर नहीं है. कलाकारों का कहना था कि, “हमें बताया गया था कि हमेशा कि तरह इस बार भी राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिलेगा. लेकिन रिहर्सल में पता चला कि इस बार ऐसा नहीं होगा. यह हमारे लिए अपमान जैसा है. हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई है.”
इस बारे में सरकार का अपना तर्क है. प्रेसिडेंट के प्रेस सेक्रेटरी अशोक मलिक का कहना है कि जब सौ से ज्यादा विजेता हों तो ऐसे में राष्ट्रपति का सभी को पर्सनली अवॉर्ड दे पाना संभव नहीं है. हालांकि यह भी खबर है कि विजेताओं की नाराजगी के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विजेताओं से मुलाकात की और बताया कि राष्ट्रपति ने इवेंट के लिए उन्हें मात्र एक घंटे का वक्त दिया है. ऐसे में वक्त की पाबंदी के चलते वो सभी को अवॉर्ड नहीं दे सकते हैं. इसी के चलते अवॉर्ड वितरण के लिए अन्य मंत्रियों की मदद ली जा रही है. स्मृति ईरानी ने मीटिंग में सभी को भरोसा दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति के दफ्तर को सूचना भेजी है.
अभी तक तो कार्यक्रम तय है, उसके मुताबिक समारोह के लिए राष्ट्रपति करीब 5.30 बजे विज्ञान भवन पहुंचेंगे. तब तक स्मृति ईरानी और राज्यवर्धन सिंह राठौर कई सारे अवॉर्ड्स दे चुके होंगे. अंत में सभी अवॉर्ड्स के वितरण के बाद राष्ट्रपति इन 45 लोगों के विजेताओं के ग्रुप के साथ फोटो खिंचवाएंगे. हालांकि कलाकारों के बहिष्कार की धमकी के बाद देखना है कि कार्यक्रम में कोई फेरबदल होता है या नहीं.
करन कुमार

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।