दो ह्रदय विदारक घटनाओं के आईने में आजादी के 75 वर्ष

399
पहली घटना राजस्थान के जालौर की है, जहां शिक्षक ने 8 वर्षीय मासूम छात्र को इतनी बेहरहमी से पीटा की उसकी मौत हो गई गई। छात्र का ‘अपराध’ यह था कि वह दलित समाज में पैदा हुआ था और उसने अपने सवर्ण शिक्षक के मटके से पानी पी लिया था। यह वही अपराध था, जिसे कभी आंबेडकर ने किया था और जिसके चलते उन्हें बुरी तरह अपमानित किया गया था। गनीमत थी कि उनकी जान बख्श दी गई थी।
दूसरी घटना हरियाणा के फरीदाबाद की है, जहां रेलवे लाइन के किनारे मजदूर बस्ती में रहने वाली एक 12 वर्षीय मासूम बच्ची को दरिंदे खींचकर झाड़ियों में  ले गए, उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसे मार डाला। बच्ची का पहला अपराध यह था कि वह लड़की थी और दूसरा अपराध यह था कि घर में शौचालय न होने के नाते शौच के लिए रेल पटरी  पर गई थी। बच्ची के मजदूर पिता की मौत पहले ही हो चुकी है, उसकी मां मजदूरी करके बच्चों का पालन-पोषण करती है।
वीडियो देखें- https://www.youtube.com/watch?v=BszzdzXpWG4
क्या ये दो घटनाएं भारतीय समाज में अपवादस्वरूप होने वाली घटनाएं हैं, जिन्हें कुछ आपराधिक किस्म के लोग कभी-कभी अंजाम दे देते हैं या घटनाएं पूरे भारतीय समाज के आपराधिक मानसिकता को उजागर करती हैं और भारतीय समाज के अपराधिक सामाजिक-सांस्कृतिक बनावट की अभिव्यक्त?जाति और स्त्री के  के मामले में भारतीय समाज बहुत ही गहरे स्तर पर एक बीमार समाज है।
तथाकथित आजादी के 75 वर्षों बाद भी भारतीय समाज का बहुलांश हिस्सा  जातिवादी और पितृसत्तावादी है और पुरूषों का एक बड़ा हिस्सा बलात्कारी मानसिकता का है। आजादी के 75 वर्षों बाद भी इन दोनों बीमारियों (जाति और पितृसत्ता) के इलाज का कोई गंभीर प्रयास दिखाई नहीं देता है, इलाज तो दूर की बात है, भारतीय राज्य और समाज के संचालक यह मानने को भी तैयार नहीं हैं कि भारतीय समाज एक बीमार, बहुत ही बीमार समाज है, दुर्योग यह है कि इन दोनों बीमारियों के खुलेआम पोषक आजादी के 75 वर्षों बाद सत्ता को शीर्ष पर विराजमान हो गए हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.