मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के आदिवासी विकास विभाग की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, बीते दस वर्षों में महाराष्ट्र के आवासीय स्कूलों में पढ़ रहे 740 से अधिक छात्रों की कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी अन्य कारणों से मौत हुई. विभाग द्वारा राज्य में आदिवासी बच्चों के लिए कुल 552 आवासीय स्कूल संचालित किए जाते हैं.
आदिवासी जनसंख्या मुख्य रूप से धुले, नांदुरबार, जलगांव, नासिक, पालघर, रायगढ़, अहमदनगर, पुणे (सहयाद्रि क्षेत्र) जैसे क्षेत्रों और चंद्रपुर, गढचिरौली, गोंदिया, नागपुर, अमरावती, यवतमाल तथा नांदेड (गोंडवाना क्षेत्र) जैसे पूर्वी वन्य जिलों में केन्द्रित हैं. विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि आदिवासी विकास विभाग की आंतरिक रिपोर्ट में पाया गया कि औसत रूप से आदिवासी आवासीय स्कूलों के 70.80 छात्रों की हर साल मौत होती है और बीते 10 साल में 740 से अधिक की मौत हुई.
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर गौर करने और स्थिति सुधारने के तरीके सुझाने के लिए एक समिति बनाई है. इस रिपोर्ट का इंतजार है. आदिवासी क्षेत्रों में कार्यरत कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं और मूलभूत चीजों की कमी इन मौतों का मुख्य कारण है.
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