वो कहते हैं न, चाह को राह मिल ही जाती है. ऐसा ही कुछ अपनी काबिलियत के दम पर आईआईटी की परीक्षा पास करने वाली होनहार छात्रा संस्कृति रंजन के साथ भी हुआ है.
संस्कृति ने अपनी मेहनत से आईआईटी की जेईई एडवांस परीक्षा पास तो कर ली लेकिन उनके पास एडमिशन के लिए पैसे नहीं थे. अपनी मदद के लिए जब संस्कृति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो जैसे उन्हें राह मिल गई. संस्कृति की मदद के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथ बढ़ाया.
हाईकोर्ट ने की मदद
लखनऊ बेंच ने संस्कृति की मदद करते हुए उन्हें 15 हजार रुपए फीस देने का फैसला किया है. खबरों की माने तो संस्कृति का एडमिशन बीएचयू में हो गया था. उन्होंने आईआईटी की परीक्षा पास कर काउंसिलिंग में मैथमेटिक्स और कंप्यूटिंग कोर्स लिया. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसके पास कॉलेज की फीस देने के लिए पैसे नहीं थे. तब अपनी मदद के लिए संस्कृति ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई.
सीट हुई पक्की
खबरों के अनुसार, संस्कृति की बात सुन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) को उनकी मदद करने का आदेश दिया है और कहा है कि अगर छात्रा के लिए सीट उपलब्ध नहीं है तो उन्हें अतिरिक्त सीट पर एडमिशन किया जाए. मेधावी छात्रा संस्कृति रंजन की याचिका पर जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
होशियार छात्रा संस्कृति
संस्कृति गरीब दलित तबके से आती हैं. वो शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं. उन्होंने हाईस्कूल में उसे 95.6 % और 12वीं में उसे 92.77 अंक प्राप्त किए थे. जेईई की परीक्षा में उन्हें 2,062 रैंक मिली थी. एससी कैटगरी में उनकी रैंक 1469 थी.
दरअसल, हाईकोर्ट जाने से पहले संस्कृति और उनके पिता ने कई बार जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी को फीस को लेकर समय बढ़ाने की मांग की थी. लेकिन जब उन्हें इसका जवाब नहीं मिला तब उन्होंने हाईकोर्ट की तरफ रुख किया. कोर्ट ने जब संस्कृति की मेहनत और उनकी काबिलियत को देखा तो उनकी मदद करते हुए उन्हें 15 हजार रुपए देने के साथ उनका अतिरिक्त सीट पर एडमिशन करने का भी आदेश दे डाला.
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