अमेरिका में जातिगत भेदभाव के खिलाफ मामले में अमेरिका स्थित संगठन अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर (एआईसी) भी सामने आ गया है। सेंटर ने मंगलवार 2 फरवरी को कैलिफोर्निया के सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करके एमिकस क्यूरी अर्थात अदालत के कानूनी सहयोगी के रूप में कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने का फैसला लिया है। हाल ही में यह केस अमेरिका की संघीय अदालत से कैलिफोर्निया राज्य में शिफ्ट किया गया है जिसपर भेदभाव उन्मूलन के अमेरिकी कानूनों के आधार पर केस चलने वाला है।
कुछ महीनों पहले एक दलित भारतीय इंजीनियर ने अपने ब्राह्मण साथियों पर जातिगत भेदभाव एवं अपमान का केस दायर किया था। इस मामले में कैलिफोर्निया के निष्पक्ष रोजगार और आवास विभाग (डीएफईएच) का आरोप है कि जाति आधारित भेदभाव हिंदुओं की धार्मिक व्यवस्था का अंग है। वहीं अमेरिका में आरएसएस समर्थित हिन्दू संगठन ‘हिन्दू अमेरिका फॉउण्डेशन’ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया था। हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन ने दलील दी है कि कैलिफोर्निया राज्य में दायर यह केस अमेरिका में बसे हिंदुओं की धार्मिक व्यवस्था और धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप है। हिन्दू फॉउण्डेश ने इस हस्तक्षेप को गैरकानूनी बताकर चुनौती देने का फैसला किया है।
कैलिफोर्निया के निष्पक्ष रोजगार और आवास विभाग (डीएफईएच) बनाम सिस्को सिस्टम्स इंक, सुंदर अय्यर और कार्यस्थल में जातिगत भेदभाव के रमण कोम्पेला मामले में 9 मार्च को सुनवाई होनी है। कैलिफोर्निया राज्य का आरोप है कि भारतीय मूल के एक कामगार के साथ जाति के आधार पर हुआ भेदभाव नागरिक अधिकार कानूनों का उल्लंघन है। इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए हार्वर्ड विश्वविद्यालय की मानवशास्त्री प्रोफेसर अजंता सुब्रमण्यन ने कहा है कि इस मामले ने अमेरिकी भारतीयों में बजबजा रही जाति की गंदगी को सबके सामने लाकर रख दिया है। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अब अमेरिका में बसे कई दलित एवं मानवाधिकार समूह खुलकर सामने आ रहे हैं।

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