नई दिल्ली। अम्बेडकर इंटरनेशनल मिशन (AIM) के संस्थापक राजू कांबले नहीं रहें. 16 अगस्त को कनाडा के वैंकुअर में उनका निर्वाण हो गया. वह पिछले 20 सालों से कनाडा में ही रह रहे थे. राजू कांबले दुनिया भर के अम्बेडकरवादियों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी थे. उनके जाने से दुनिया के तमाम देशों में रहने वाले अम्बेडकरवादियों को गहरा झटका लगा है. पेशे से साइंटिस्ट राजू केमिकल इंजीनियर थे.
4 जनवरी 1954 को नागपुर में जन्में राजू कांबले एक सामान्य पृष्ठभूमि के थे. लेकिन बाबासाहेब की बातों को आत्मसात कर जीवन में संघर्ष करते हुए उन्होंने प्रोफेशनल और सोशल लाइफ में बुलंदियों को छुआ. वे आजीवन बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के प्रयास में जुटे रहें. उन्होंने अलग-अलग देशों में फैले दलितों को एक साथ जोड़ने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अम्बेडकर इंटरनेशनल मिशन के जरिए उन्होंने दुनिया के कई देशों में डॉ. अम्बेडकर कन्वेंशन आयोजित किया. इसमें मलेशिया के क्वालालंपुर में 1998 और 2011 में जबकि फ्रांस के पेरिस में 2014 में कार्यक्रम आयोजित किया गया था. 2018 में अम्बेडकर कन्वेंशन के लिए जापान को चुना गया है, जिसका आयोजन 22-23 सितंबर को होना था. AIM के जरिए वो यूएस, कनाडा, जापान, मिडिल ईस्ट सहित पूरे युरोपिय देशों में फैले अम्बेडकरवादियों को एक मंच पर ले आएं. इसमें जहां अच्छे पदों पर रहने वाले अधिकारी थे तो साधारण काम करने वाले लोग भी थे.
बहुत ऊंचाईयों पर पहुँचने पर भी वे कभी अपने समाज से नहीं कटे बल्कि समाज के लिए समर्पित रहे और जमीनी स्तर पर जाकर दलित एक्टिविज़्म के लिए कार्य किया. उनका मानना था कि हर बहुजन को बाबासाहेब को पढ़ना चाहिए. इसके लिए वो लोगों को किताबें उपलब्ध कराते रहे. वे हमेशा स्टूडेंट्स को विदेश जाकर पढ़ने और खुद को सक्षम बनाकर समाज के लिए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते थे. उनका पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित रहा. राजू भाऊ का जाना अम्बेडकरी आंदोलन के लिए एक अपूर्णीय क्षति है.
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