बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान किया है। शताब्दी समारोह कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने विपश्यना योग की चर्चा की। इसके ठीक बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि राज्य सरकार को जो भी कर्मचारी विपश्यना करना चाहेगा, उसे 15 दिनों की सरकारी छुट्टी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि बुद्ध स्मृति पार्क में विपश्यना केंद्र बनाया गया है। इसमें शामिल होने वाले इच्छुक अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकार की तरफ से 15 दिनों की छुट्टी दी जाएगी। बता दें कि पटना जंक्शन के पास बुद्ध स्मृति पार्क बनाया गया है, उसी में विपश्यना केंद्र चल रहा है। इसके लिए एडवांस बुकिंग होती है। यहां 10 दिनों का रहना-खाना बिल्कुल निःशुल्क होता है। फिलहाल बिहार के पांच जगहों पर विपश्यना केंद्र चल रहे हैं। इनमें पटना के अलावा बोधगया, मुजफ्फरपुर, नालंदा और वैशाली में भी सेंटर है।
जहां तक विपश्यना की बात है तो देश के दिग्गज नेता, उद्योगपति और फिल्मी कलाकार से लेकर खिलाड़ी तक विपश्ना की शरण में जा चुके हैं। विपश्यना ध्यान की सबसे पुरानी तकनीकों में से एक है। इसे ढाई हजार साल से भी पहले, गौतम बुद्ध ने फिर से खोजा था। सार्वभौमिक बीमारियों के लिए एक सार्वभौमिक उपचार यानी आर्ट ऑफ लिविंग के रूप में सिखाया गया था। इसका उद्देश्य मानसिक अशुद्धियों का पूर्ण उन्मूलन और पूर्ण मुक्ति के बाद का सुख है। भगवान बुद्ध ने ध्यान की ‘विपश्यना-साधना’ से बुद्धत्व प्राप्त किया था।
विपश्यना का अर्थ है, चीजों को वैसे ही देखना जैसे वो वास्तव में है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। वर्तमान में जीने की कला ही विपश्यना है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने के लिए कहा था। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।
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