लखनऊ। 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की छटपटाहट साफ दिख रही है. तो इस बीच एनडीए के बहुजन नेताओं ने भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी है. शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पूर्वांचल के महत्वपूर्ण जिले गाजीपुर में होने वाली रैली में शामिल नहीं होकर स्थानीय दिग्गज और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने साफ कर दिया कि भले ही केंद्र में मोदी का राज हो पूर्वांचल में उनका सिक्का चलता है. तो वहीं पीएम मोदी की रैली में शामिल नहीं होकर उन्होंने भाजपा और पीएम मोदी को असहज भी कर दिया.
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज के दो महत्वपूर्ण नेताओं के इस विद्रोह से यूपी में पहले ही मुश्किल में फंसी भाजपा अब और घिर गई है. एनडीए में शामिल इन दोनों नेताओं की बात करें तो ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में मंत्री हैं, जबकि अनुप्रिया पटेल केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. अनुप्रिया पटेल की पार्टी के अध्यक्ष आशीष पटेल ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश सरकार द्वारा अपना दल के नेताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था, जबकि ओमप्रकाश राजभर तमाम मुद्दों को लेकर लगातार मोदी से लेकर योगी तक पर निशाना साधते रहे हैं.
बिहार में बहुजन नेताओं की गोलबंदी के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी बहुजन नेताओं के आंख तरेरने के क्या मायने हैं. इस पर राजनीतिक विश्लेषक और समाजशास्त्री प्रो. विवेक कुमार का कहना है कि यह बहुजन नेताओं की हुंकार है. दलित और पिछड़े नेता अब राजनीति में अपनी हिस्सेदारी को छोड़ना नहीं चाहते, बल्कि वह अपने प्रतिनिधित्व की मांग को जोर-शोर से उठा रहे हैं. दोनों नेताओं के विरोध को इसी रूप में देखना होगा.”
जाहिर है कि उत्तर प्रदेश के अपने दो सहयोगियों की बगावत से भाजपा बौखलाई हुई है. इससे पहले ही बिहार में मुसीबत में फंसी भाजपा यूपी में भी बहुजन नेताओं के चक्रव्यूह में उलझती दिख रही है. देखना होगा कि इस राजनीतिक चक्रव्यूह में विजय किसकी होती है.