अहमदाबाद। गुजरात में दलित आंदोलन के चेहरे जिग्नेश मेवाणी के आंदोलन को बुकर प्राइज विजेता लेखिका अरुंधति रॉय ने तीन लाख रुपए दिए हैं ताकि वह चुनाव प्रचार में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में प्रचार कर सकें.
अरुंधति रॉय ने एक मैगजीन को बताया “मैं उनके कई समर्थकों में से एक हूं. मैंने उनके अभियान में योगदान दिया क्योंकि मेरा मानना है कि जिग्नेश मेवाणी मुख्यधारा की भारतीय राजनीति में एक तरह की सफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके पास एक विजन और विश्वास है और हमें जिस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है, उसके बारे में उनके पास एक वास्तविक, बहुआयामी समझ है.” हाल ही में अरुंधति रॉय का नया उपन्यास ‘मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस’ चर्चा में रहा था.
दलित नेता मेवाणी ने अरुंधति रॉय को आंदोलन में योगदान देने के लिए धन्यवाद किया. मेवाणी कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में बनासकांठा जिले की वडगाम (एससी) सीट से चुनाव लड़ेंगे. इसके लिए वह क्राउडफंडिंग कर रहे हैं. अपनी अपील में वे कहते हैं कि उनका आंदोलन गुजरात के दलितों को भीड़-शासन के विरुद्ध प्रेरित करने के लिए है.
उनकी इस फंड इकट्ठा करने की मुहिम का नाम ‘जनता की लड़ाई, जनता के पैसे से’ है. मेवाणी का कहना है कि वह ‘स्वायत्तता और आंदोलन की पूरी आजादी’ बनाए रखने के लिए राजनीतिक और कॉर्पोरेट फंडिंग से दूर रहेंगे.
फंड रेजिंग वेबसाइट के मुताबिक, मेवाणी ने पहले ही एक हफ्ते में 5,50,000 रुपए जुटाए हैं, जिनमें से 3,00,000 रुपयों का योगदान अरुंधति रॉय द्वारा किया गया है.
दलित अधिकारों की मजबूती से वकालत करने वाली रॉय भाजपा की आलोचक हैं. भाजपा ने उन पर ‘राष्ट्र विरोधी’ होने का आरोप लगाया था. रॉय ने आरोप लगाया था कि भाजपा हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही है और उन्होंने कहा था कि इस समय अल्पसंख्यक डर में जी रहे हैं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।