नई दिल्ली। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी NITI आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 31 अगस्त पनगढ़िया के कार्यकाल का आखिरी दिन होगा. अरविंद पनगढ़िया नीति आयोग के पहले वाइस चेयरमैन बनाए गए थे, नीति आयोग का गठन मोदी सरकार ने योजना आयोग की जगह पर किया है.
तात्कालिक रूप से शिक्षा क्षेत्र में लौटने की बात कहकर उन्होंने इस्तीफा दिया है. अरविंद पांच जनवरी, 2015 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष बने थे. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पनगढ़िया आर्थिक उदारीकरण के पैरोकार माने जाते रहे हैं.
भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद नीति आयोग के उपाध्यक्ष बनने से पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. वह इससे पहले एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रहे हैं. इसके अलावा वह वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और अंकटाड में भी काम कर चुके हैं. उन्होंने प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली है.
पनगढि़या ने तकरीबन 10 किताबें लिखी हैं. भारत के संदर्भ में उनकी किताब India: The Emerging Giant खासी चर्चित रही. यह पुस्तक 2008 में प्रकाशित हुई थी. 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में पद्मभूषण से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.
नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने जब नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की आलोचना की थी और उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था तो दुनिया के जो दो बड़े अर्थशास्त्री मोदी के बचाव में आगे आए वो थे प्रो जगदीश भगवती और अरविंद पनगढ़िया.
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Mr अरविंद पनगढ़िया you were shameless from day one. you came to india enjoy the honeymoon of Modi Government. Shameleshly blamed echonomics of MM singh and Amratya sen.