आषाढ़ पूर्णिमा ही गुरु पूर्णिमा है, बुद्ध ही गुरु हैं

आषाढ़ी पूर्णिमा का दिन तथागत बुद्ध के अनुयायियों के लिए एक बड़ा दिन होता है। दरअसल बुद्धिस्टों के लिए हर पूर्णिमा खास होता है। 3 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन जब गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है और लोग अपने गुरुओं को याद कर रहे हैं, बौद्ध धम्म के अनुयायी भी इस दिन बुद्ध को याद कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। धम्मा लर्निंग सेंटर, वाराणसी के प्रमुख भिक्खु चंदिमा ने सभी धम्म प्रेमियों को इस दिन की बधाई दी है। वो लिखते हैं-
धम्मचक्कपवत्तन दिवस (आषाढी पूर्णिमा/गुरू पूर्णिमा) की मंगल कामनाएं। आज आषाढी पूर्णिमा है, आज ही के दिन तथागत बुद्ध ने सारनाथ में पंच वर्गीय भिक्खुओ को धम्मचक्कपवत्तनसुत्त का उपदेश दिया था। आषाढी पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता हैं। आइए! लोकगुरु, महागुरू, विश्वगुरू तथागत बुद्ध के प्रति कृतज्ञता भाव प्रकट करें।

पटना में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार और मिशन जय भीम पत्रिका के संपादक बुद्ध शरण हंस लिखते हैं-
महान अर्थशास्त्री गौतम बुद्ध को कोटिश: नमन। आज ही के दिन आषाढ पूरनिमा को गौतम बुद्ध ने सारनाथ में ईसा से 500 वर्ष पहले सहज, सुखी, सम्मानित जीवन जीने के पांच सूत्र बतलायें। पहला आपस में लड़ाई झगड़ा मार-काट नहीं करने से इंसान सुखी रहेगा। किसी की कोई भी वस्तु की चोरी बेईमानी नहीं कर इंसान सुखी रहेगा। व्यभिचार से दूर रहकर इंसान सुखी रहेगा। झूठ या ग़लत बातें नहीं बोलकर इंसान सुखी रहेगा। किसी तरह का नशा- नहीं कर इंसान सुखी रहेगा। तब के विदेशीय आर्य वराहमनो में उपरोक्त सारे अवगुण थे। उन अवगुणों से बचने के लिए तथागत ने इसी आषाढ पूरनिमा के दिन पंचशील की शिक्षा दी थी। ऐसा ही शुभ हो। आपका जीवन मंगलमय हो।

धम्म चारिका करते भिक्खु चंदिमाबौद्ध विद्वान और लेखक एवं साहित्यकार आनंद श्रीकृष्ण ने सबको गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए लिखा है-
आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को ही तथागत गौतम बुद्ध ने सारनाथ के मृगदाय वन में पंचवग्गीय भिक्षुओं को धम्मचक्कपवत्तन उपदेश देकर धम्म देशना की शुरुआत की थी। इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के बाद यह दूसरा महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन उपासक उपासिकाएं उपोसथ रखकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

बौद्ध धम्म पर काफी तथ्यात्मक जानकारियां सामने लाने वाले इतिहासकार राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने भी बुद्ध पूर्णिमा की बधाई दी है। उन्होंने लिखा है-
आषाढ़ पूर्णिमा ही गुरु पूर्णिमा है। बुद्ध ही गुरु हैं।
बुद्ध ही गुरु हैं। इसी गुरु ने गुरु पूर्णिमा के दिन सारनाथ में पहली बार सार्वजनिक ज्ञान दिया था।
बुद्ध ही गुरु हैं। इनकी ही शिक्षाएँ दुनिया भर में अनूदित हुईं।
बुद्ध ही गुरु हैं। अनेक देशों में इसी गुरु के कारण अनेक शिक्षा – केंद्र खोले गए।
बुद्ध ही गुरु हैं। इन्हीं का ज्ञान पाने के लिए अनेक विदेशी भारत आए।
बुद्ध ही गुरु हैं। अनेक भिक्खुओं ने इसी गुरु के ज्ञान का अनेक देशों में प्रचार किए।
बुद्ध ही गुरु हैं। इसलिए अनेक देशों में पढ़ाई का सत्र गुरु पूर्णिमा के माह जुलाई से आरंभ होता है।
बुद्ध ही गुरु हैं। अनेक राजाओं ने गुरु पूर्णिमा के दिन अनेक भिक्खु – संघों को शिक्षा हेतु अनेक गाँव दान दिए।

 

 

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