उना। गुजरात के उना में प्रस्तावित ‘दलित अस्मिता रैली’ में हिस्सा लेने गए लोगों पर स्थानीय जिलाधिकारी की लापरवाही से हमले होने की खबर सामने आई है. रैली की रिपोर्टिंग करने पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक रंजन सिंह ने इस तथ्य को उजागर किया है.
बकौल अभिषेक, “उना (गुजरात) में गिर सोमनाथ के ज़िलाधिकारी डॉ. अजय कुमार से 15 अगस्त को होने वाली दलित अस्मिता रैली के संबंध में कई बातें हुईं. बातचीत के क्रम में कलेक्टर साहब से मैंने सवाल किया कि प्रस्तावित इस रैली को लेकर इलाक़े में काफ़ी तनाव है. ख़ासकर काठ दरबार (राजपूत) बहुल गांवों में लोग जत्थे बनाकर हमला कर सकते हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन को भी है. ऐसे में क्या आपने निर्गत किए गए लाइसेंसी बंदूकें/ राइफल जो यहां के लोगों के नाम पर हैं, क्या उसे हालात सुधरने तक गन हाउस में जमा कराने का आदेश दिया है?”
इस गंभीर सवाल पर कलेक्टर डॉ. अजय कुमार का कहना था कि यह गुजरात और गांधी की धरती है, यहां उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह हिंसक वारदातें नहीं होती हैं. इस ज़िले में केवल 800 लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर उना में रैली से लौट रहे दलितों के ऊपर दरबार (राजपूत) बहुल अति संवेदनशील सामेतर गांव के लोगों ने फायरिंग की, जिसमें 11 लोग गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए हैं. सभी घायलों का इलाज़ उना के सरकारी अस्पताल में चल रहा है. इस घटना के बाद कस्बाई शहर उना में पुलिस चौकसी बढ़ा दी गई है.
अभिषेक के मुताबिक, इस हिंसक घटना के जितने ज़िम्मेदार सामेतर गांव के लोग हैं, उतने ही ज़िम्मेदार ज़िलाधिकारी भी हैं, क्योंकि उन्हें यह बखूबी पता था कि उना में पिछले कई दिनों से तनावपूर्ण स्थिति है, बावजूद इसके उन्होंने लाइसेंसी हथियारों को ज़ब्त करने का आदेश नहीं दिया. यह एक बड़ी प्रशासनिक भूल है, जो उना के हालात के लिए सही नहीं है. इसी वजह से दलितों पर हमलों को रोका नहीं जा सका.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।