नई दिल्ली। संसद में सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान ने भी अपना मत व्यक्त किया. उन्होंने तीन तलाक बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि तीन तलाक कुरान और शरियत का आंतरिक मामला है. कुरान में हस्तक्षेप करने का अधिकार किसी को नहीं है.
आजम खान ने कहा कि इसका किसी के स्वाभिमान या कानून से कोई मतलब नहीं है. तीन तलाक पर आजम ने कहा कि यह हमारा निजी मामला है और इस पर कुरान के अलावा कोई बात कुबूल नहीं की जाएगी. महिलाओं के जो हमदर्द बनते हैं वह हिन्दू महिलाओं की दिक्कतों के बारे में भी बताएं. देश खुद को शादी, निकाह, मंडप से अलग न कर ले.
आजम खान ने कहा कि देश की पहाड़ियों में हमारी लाशें दफ्न हैं. उन्होंने कहा कि 1942 में हिन्दू मुस्लिम जब एक बर्तन में खाना खा रहे थे तभी अंग्रेजों को लग गया था कि अब यहां रहना मुमकिन नहीं है. आजम खान ने कहा कि आज देश बहुत कमजोर हो रहा है, मैं किसी को कलमा पढ़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, लेकिन अगर मैं न कहूं तो आप जबदस्ती नहीं कर सकते और कर सकते हैं तो कहिए.
संविधान से चलेगा देश
आजम खान ने कहा कि संविधान से देश चलेगा, अगर संविधान हमसे कहेगा तो मैं जरूर कहूंगा और संविधान को न मानने वाले लोग देश के साथ अच्छा नहीं करेंगे. आजम खान ने कहा कि मोदी सरकार पर बहुत बोझ है जो कहा जाए वो किया जाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को मेरी भैंस की फिक्र रही लेकिन मेरी नहीं. आजम ने कहा कि सरकार के पैसे से बना दरवाजा गिरा दिया जाएगा, बच्चों को पढ़ाई से रोका जाएगा.
आजम खान ने कहा कि इस मुल्क की दूसरी बड़ी आबादी के साथ जैसा रवैया है वह काफी दुखद है. उन्होंने कहा कि मैं एक यूनिवरर्सिटी का संस्थापक हूं और वह यूनिवर्सिटी ऐसी है कि राष्ट्रपति भवन भी फीका नजर आए. आजम ने कहा कि वहां गरीबों के लिए विशेष और निशुल्क पढ़ाई दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से हमारी खूब नाराजगी है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि विकास सिर्फ इन्हीं 5 सालों में हुआ है.
आजम खान ने कहा कि किसी पर कटाक्ष करना बहुत आसान है लेकिन अगर मैंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में सुई के बराबर में बेईमानी की हो तो मैं अभी इस सदन को छोड़ने के लिए तैयार हूं. आजम खान ने कहा कि अगर बेईमान होता तो देश की सबसे बड़ी अदालत में आज खड़ा नहीं होता. उन्होंने कहा कि मेरे पास पाकिस्तान जाने का हक था लेकिन हमने यही रहना मुनासिब समझा और आज हम गद्दार हो गए. आजम ने कहा कि जो वंदे मातरम नहीं कहेगा उसे भारत में रहने का हक नहीं, ऐसी बात सदन में कही गई लेकिन मैं बात दूं कि बात वंदे मातरम की नहीं है.
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