1- भाजपा को लगा झटका, नेता सुबोध राकेश ने छोड़ी, बसपा में हुए शामिल। उतराखंड चुनाव से पहले भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेता सुबोध राकेश ने बसपा का दामन थाम लिया है। बताया जा रहा है कि गाजियाबाद पहुंचकर सुबोध राकेश ने अपने समर्थकों के साथ बसपा की सदस्यता ली। सुबोध राकेश के बसपा में आने से जहां विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा को तगड़ा झटका लगा है तो वहीं बसपा कार्यकर्त्ता उत्साह में नजर आ रहे हैं।
2- खेत में चारा लेने गई दलित महिला से दो युवकों ने की रेप की कोशिश और नाकाम होने पर रेत दिया गला। ये मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से सामने आया है। आरोप है कि अलीगढ़ के थाना पिसावा इलाके में खेत में चारा लेने गई दलित महिला के साथ दो युवकों ने रेप की कोशिश की, लेकिन शोर सुनकर आते लोगों को देखकर, नाकाम महसूस कर उन्होंने महिला का गला रेता दिया। जिससे महिला की हालत गंभीर हो गई है। फ़िलहाल घायल महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
3- खुली जन-धन योजना की पोल, 8 लाख आदिवासियों के खाते में एक भी रुपया नहीं आया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हुई एक बैठक के दौरान प्रदेश की आर्थिक प्रगति से जुड़ी एक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें बताया गया है कि 1.23 करोड़ आबादी वाले आर्थिक रूप से कमजोर 9 आदिवासी जिलों में बीते 10 साल में 68.3 लाख बैंक खाते खोले गए है लेकिन इनमें से 8 लाख खातों में आजतक एक रुपया भी जमा नहीं हुआ है जबकि इन खातों को खोलने में सरकार ने 8 करोड़ रु खर्च कर दिए।
4- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटानयक ने दूर-दराज़ के आदिवासी बहुल जिलों के लिए ‘वायु स्वास्थ्य सेवा’ शुरू की है। इस योजना के तहत डॉक्टर दूर-दराज़ के इलाकों में जाकर गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों का इलाज करेंगे। सीएम पटनायक ने आदिवासी बहुल और माओवाद प्रभावित मल्कानगिरी जिले के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम को ले जा रही एक उड़ान को रवाना करते हुए कहा है कि दूसरे जिलों को भी चरणबद्ध तरीके से इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
5- भाजपा ने शुरू किया पिछड़ा सम्मेलन, पिछड़े वर्ग को साधने के लिये सभी जिलों में आयोजित किए जाएंगे कार्यक्रम। विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा जातीय संतुलन बैठाने में लगी है और इसी के लिए पिछड़ा समाज सम्मेलन आयोजित कर रही है। इन सम्मलनों मे भाजपा विभिन्न जाति- वर्ग तक अपनी सरकार की नीतियों और उपलब्धियां पहुंचाने का कार्य करेगी ताकि ओबीसी वोटरों का मन बदला सके।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।