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“जब उन्होंने हमारे जाने के बाद मुख्यमंत्री आवास को गंगा जल से धोया था तब हमने भी तय कर लिया था कि हम उनको पूड़ी खिलाएंगे.”
यह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का ट्विट है. चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में यह ट्विट कर अखिलेश यादव ने अपने मन की पीड़ा बयान की है. अखिलेश यादव ने जो ट्विट किया है, वह महज एक ट्विट भर नहीं है, बल्कि यह उनके भीतर का दर्द है, जो उन्हें तब महसूस हुआ जब उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद वहां रहने से पहले वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे गंगा जल और गौ मूत्र से पवित्र करवाया था. योगी मुख्यमंत्री आवास को एक ‘शूद्र समाज’ के व्यक्ति के रहने से अपवित्र हुआ मान रहे थे, जिसके कारण उन्हें उस आवास को पवित्र करने की जरूरत महसूस हुई. तभी से अखिलेश यादव ने उस अपमान को अपने भीतर पाल रखा था. जैसा कि उन्होंने इस ट्विट में कहा भी है. पहले भी कई मौकों पर वह इस घटना का जिक्र कर चुके हैं.
जब उन्होंने हमारे जाने के बाद मुख्यमंत्री आवास को गंगा जल से धोया था तब हमने भी तय कर लिया था कि हम उनको पूड़ी खिलाएँगे! pic.twitter.com/9GubzO1hOW
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) 15 May 2019
अम्बेडकरी आंदोलन से जुड़ने के बाद मैं लगातार एक बार पढ़ता-सुनता आ रहा हूं जिसमें कहा जाता है कि “गुलामों को उनकी गुलामी का अहसास करा दो वो विद्रोह कर देगा.” अखिलेश यादव का “उनको पूड़ी खिलाने” का प्रण ऐसा ही है. योगी आदित्यनाथ के उस जातिवादी कदम ने अखिलेश यादव को इतना अपमानित महसूस कराया कि वो किसी भी तरह भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जुट गए. उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ बने इस गठबंधन को बनाने में सबसे ज्यादा किसी ने मेहनत की तो वो अखिलेश यादव ही हैं. उसका परिणाम भी दिख रहा है. चुनाव परिणाम इस बात को और पुख्ता करेंगे कि अखिलेश का प्रण कितना कामयाब होगा.
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यूपी में बना महागठबंधन खासकर यादवों, जाटवों, मुसलमानों और कुछ अन्य दलित-पिछड़ी जातियों का गठबंधन है, जिसमें राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह के भरोसे जाट वोटरों से भी इसमें जुड़ने की अपील की जा रही है. इस महागठबंधन को बनाने में अखिलेश यादव ने जहां काफी मेहनत की तो बहुजन समाज पार्टी की मुखिया ने भी एक परिपक्व और समझदार राजनीतिज्ञ की तरह अखिलेश यादव को तवज्जो दिया. यह बहनजी की दूरदर्शिता ही थी, जिसकी वजह से यह गठबंधन बन पाया. सवाल है कि जब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की दो प्रमुख राजनैतिक ताकतें एक साथ आ गई हैं तो क्या बहुजन समाज का आम इंसान यह सपना देख सकता है कि एक दिन तमाम प्रदेशों में मौजूद बहुजन समाज के नेतृत्व वाले राजनैतिक दल एक साथ आएं? या फिर कम से कम एक-दूसरे के साथ मिलकर न सिर्फ दलितों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों के लिए बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए बेहतर सरकार की कल्पना पर बात करें. जैसे बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार में राजनीति करने के बावजूद यूपी में अखिलेश यादव और मायावती जी के साथ दिखते हैं.
सोचिए, जब दिल्ली में उदित राज और वाल्मीकि समाज का कोई नेता प्रदेश को नेतृत्व दे, महाराष्ट्र में बहुजनों का नेतृत्व रामदास अठावले और प्रकाश आम्बेडकर मिलकर करें और इसमें समान विचारधारा वाले अन्य नेताओं को भी शामिल करें. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उभर कर आए. बिहार के बहुजन नेताओं में बनी एकता जारी रहे तो वह दृश्य कैसा होगा. जाहिर है कि बड़े नेताओं का अहम उन्हें साथ आने से रोकता रहा है लेकिन अगर एक पल वो अहम को किनारे रख देने को तैयार हो जाएं तो इसमें सिर्फ समाज का नहीं, बल्कि उन नेताओं का भी फायदा होगा. और अगर ऐसा संभव होगा तो इसमें सबसे बड़ी भूमिका बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती जी को निभानी होगी. अम्बेडकरवादी विचारधारा वाले बहुजन समाज के सक्रिय और प्रभावी राजनेताओं में मायावती सबसे आगे खड़ी दिखती हैं. अगर वो पहल करें तो देश की राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है. अखिलेश यादव ने जिस अपमान का घूंट पिया, तमाम दलित-पिछड़े राजनेता भी अपने जीवन में वही अपमान महसूस कर चुके हैं. आज के वक्त में उनका राजनैतिक एका ही पूरे समाज को न्याय दिला सकता है और भेदभाव रहित एक बेहतर भारत बना सकता है.
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अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।