1- हरियाणा के रोहतक में 45 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर उनसे संबंध रखने वालों से जुर्माना वसूलने का फरमान दिया गया है। खबर है कि गांव में पंचायत कर ये फरमान जारी किया गया कि गांव का कोई व्यक्ति इन 45 परिवारों के सदस्यों को अपने खेतों, घरों और दुकान में प्रवेश नहीं करने देगा।
यदि कोई ऐसा करता पाया गया तो उसे 11 हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा। लेकिन इस प्रतिबंध के बाद इन 45 दलित परिवारों के सामने रोजी-रोटी और उनके पशुओं के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
2- मेरठ के बिसौला गांव के दलित समुदाय के लोगों ने चकबंदी विभाग पर, संत रविदास की प्रतिमा हटाने का लगाया आरोप है। खबर है कि बीती देर रात चकबंदी विभाग पुलिस बल के साथ निर्माणाधीन रविदास मंदिर पर पहुंचे, जहां पुलिस ने चबूतरा तोड़कर यहां लगी संत रविदास की प्रतिमा को रात के अंधेरे में उखाड़ दिया और अपने साथ ले गई। शुक्रवार सुबह जब मामले की जानकारी हुई तो दलित समाज में रोष पैदा हो गया।
3- अगली खबर कर्नाटक से है जहां एक दलित युवक को महज इस बात के लिए पीटा गया क्योंकि शिव मंदिर की सामने वाली सरकारी सड़क का इस्तेमाल कर रहा था। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार हैरान कर देनी वाली घटना मैसूरु ज़िले के एक गांव की है।
इस बारे में पीड़ित युवक महेश ने बताया कि ‘इस गाँव के लिंगायतों व दलितों ने मिल कर पाँच साल पहले ही शिव मंदिर बनाया था, इसके लिए दोनों ने ही पैसे दिए, दोनों ने ही अपना श्रमदान किया और दोनों की इसमें बराबर की हिस्सेदारी थी, लेकिन मंदिर बनने के बाद दलितों को मंदिर से दूर करने के बाद ये भी कहा गया कि कोई दलित मंदिर के सामने की सड़क से नहीं गुजरेगा। ज्यादातर लोगों ने ये बात मान ली लेकिन मैंने नहीं मानी और मैं सड़क का इस्तेमाल करता रहा।’ और इसी के चलते महेश के साथ मारपीट की गई।
4- दलित बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, धमकी देने के आरोप में बेंगलुरु स्कूल की प्रधानाध्यापक के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज की गई है।
खबर है कि स्कूल के दलित बच्चों के अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों को प्रधानाध्यापक और कर्मचारी निशाना बनाते हैं। उनसे घटिया काम करवाए जाते हैं, जिन्हें न मानने पर उन्हें धमकी दी जाती है और उनका प्रमोशन ना करने या उनका ट्रान्सफर रोक देने जैसी धमकियां भी दी जाती है।
5- झारखंड में मॉब लिंचिंग करने वाले लोगों के लिए सख़्त क़ानून बनाया जा रहा है, जिसके लिए जल्द ही मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक लागू किया जाएगा। इस विधयक के अनुसार, मॉब लिंचिंग में मौत होने की स्थिति में इसके लिए दोषी पाए गए अभियुक्तों को कठोर आजीवन कारावास की सज़ा दी जाएगी और उनपर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।