फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नौकरी लेने वाले सवर्णों के खिलाफ आमरण अनशन पर बहुजन युवा

एससी-एससी के फर्जी जाति प्रमाण के सहारे नौकरी कर रहे सवर्ण समाज के युवाओं के खिलाफ आरक्षित वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया है। साल 2020 में सामने आए इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अब तक कार्रवाई नहीं होने से नाराज एससी-एसटी वर्ग के युवा आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उनका आरोप है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में बर्खास्तगी का आदेश जारी होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

कांग्रेस की सत्ता वाले छत्तीसगढ़ राज्य में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला एक बार फिर गरमाया हुआ है। इसके खिलाफ नई राजधानी स्थित धरना स्थल पर आरक्षित वर्ग के युवा पिछले 4 दिनों से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर हैं।
दरसल यह पूरा मामला तब का है जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था। तब से अब तक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के साहारे आरक्षण, नौकरी एवं राजनीतिक लाभ लेने की तमाम शिकायतें सामने आई है। इन शिकायतों के आधार पर प्रदेश सरकार ने उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया था। इस जांच में समिति को कुल 758 शिकायते मिली जिसमें से 659 मामलों में जांच की गई। इन 659 मामलों में 267 ऐसे मामले सामने आए, जिसमें सवर्ण समाज के लोगों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे आरक्षण से नौकरी एवं राजनैतिक लाभ ले रहे थे। चौंकाने वाली बात यह रही कि इसमें सरपंच और पार्षद से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे का नाम भी सामने आया था।

इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र 7-16/2020/ 25.11.2020 के जरिये फर्जी लोगों को तत्काल नौकरी से बर्खास्त करने के आदेश दे दिए गए। लेकिन इस आदेश के तीन साल होने के बावजूद अब तक ऐसा हो नहीं पाया है।

जिसको लेकर एससी-एसटी वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया है। विनय कौशल के नेतृत्व में मनीष गायकवाड़, हरेश बंजारे, आशीष टंडन, लव कुमार सतनामी, रोशन जांगड़े 19 जून से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए दलित-आदिवासी युवाओं का हुजूम सामने आ गया है।

आंदोलन करने वाले युवाओं का कहना है कि हमारे अधिकारों पर सेंधमारी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई एवं उन्हे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। इस मामले में साफ दिख रहा है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों का संरक्षण कर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस की सरकार तीन साल बाद भी अपराधियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं कर पाई है। और तो और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वाले लोगों को प्रमोशन का इनाम भी दे रही है। इस मामले में खुद को पिछड़ों का मसीहा बताने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर दलित समाज से आने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और मोहब्बत की दुकान खोलने निकले कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी, सभी खामोश हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में बैठे तमाम राजनीतिक दलों के आरक्षित विधायक भी इस मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं।

वर्जन :-
फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों के खिलाफ आमरण अनशन का आज चौथा दिन है। सत्ता में बैठे हुए लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं जो हमारे संवैधानिक अधिकारों की हत्या में मददगार साबित हो रहे हैं।
विनय कौशल
आंदोलनकारी

हमारे लिए चिंता इस बात की भी है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधि इन मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन जब चुनाव का समय आता है तब तमाम आरक्षित जनप्रतिनिधियों को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र ही नजर आता है लेकिन आज आरक्षित वर्ग के अधिकारों के साथ हो रहे डकैती हकमारी, लूटमारी पर वह लोग कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।
उच्च स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बनाकर उनके ही रिपोर्ट को आधार मानते हुए शासन एवं प्रशासन कार्रवाई करने से डर रही है। आरक्षित वर्ग के हित में कुठाराघात करने के लिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष सब मिले हुए हैं। हमारे मुद्दे राजनीतिक विपक्ष के लिए भी कारगर साबित नहीं होते हैं। हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है।
धनंजय बरमाल
सोशल एक्टिविस्ट एवं दलित चिंतक

अब होही न्याय कहकर सत्ता में आने वाली कांग्रेस की सरकार खुद कटघरे में है, तीन वर्ष बीत गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को तत्काल बर्खास्त कर कार्यवाही करने के आदेश को आज दिनांक तक पालन में नही लाया जा सका है।
कार्यवाही करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ पैर क्यों फूल रहे हैं? सरकारी आदेश का पालन नहीं हो रहा हमारे हक-अधिकारों पर सेंधमारी हुई है हम 4दिनों से भूखे है अनिश्चित कालीन धरना दे रहे है
इस सरकार में वाकई न्याय होता है तो मुख्यमंत्री जी साबित करे जो दोषी लोग है उन्हे तत्काल बर्खास्त कर कानूनी कार्यवाही करे।
मनीष गायकवाड़
आंदोलनकारी

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