क्रिकेट की गेंद छूने पर अंगूठा काटा, अंबेडकर जयंती मनाने पर युवक की हत्या

 जून के पहले हफ्ते में महाराष्ट्र के नांदेड़ से खबर आई थी कि बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर जयंती मनाने के कारण 24 साल के दलित युवक की हत्या कर दी गई। अभी दलित समाज इस दर्द से उबरा भी नहीं था कि गुजरात के पाटन जिले में दलित समाज के एक बच्चे ने गेंद छू लिया तो उसके बाद शुरु हुए विवाद में बच्चे के परिवार के साथ न सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि चाचा का अंगूठा काट लिया। एक मामूली बात को लेकर मारपीट और अंगूठा काटने की यह घटना रविवार 4 जून की है।
दरअसल गुजरात के पाटन जिले मे कुछ युवक क्रिकेट खेल रहे थे। बाल बच्चे के पास गई तो बच्चे ने गेंद को उठा लिया। इत्तेफाक से लड़का दलित समाज से ताल्लुक रखता था। इसके बाद क्रिकेट खेल रहे जातिवादी समाज के गुंडे युवक भड़क गए और उसको गालियां देने लगे और जमकर उत्पात मचाया। बच्चे के चाचा धीरज परमार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई तो मामला शांत हो गया। लेकिन इसके बाद क्रिकेट खेलने वाले जातिवादी युवाओं का समूह हथियारों से लैस होकर बच्चे के घर पहुंच गए और बॉल उठाने वाले बच्चे के चाचा धीरज परमार और उनके भाई कीर्ति पर हमला कर दिया। मारपीट करने के अलावा इन लोगों ने चाचा धीरज परमार का हाथ का अंगूठा काट दिया। इसके बाद दलित समाज के लोग इंसाफ के लिए सड़कों पर उतर गए।

इसके बाद आरोपियों पर आईपीसी की धारा 326 (खतरनाक हथियारों से जानबूझ कर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज कर लिया गया है। लेकिन एक बड़ा सवाल यह कि इतनी छोटी घटनाओं के बाद दलित समाज पर इस तरह से अत्याचार करने की वजह क्या है? दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने ट्विटर पर इस मुद्दे को पोस्ट किया है, जिसमें उनका कहना है कि सवाल यह भी है कि दलितों पर बिना वजह या मामूली बात को लेकर अत्याचार करने वाले समाज के लोग अपने समाज के जातिवादी गुंडों की गुंडई पर शर्मिंदा होते होंगे क्या??

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