गांधीनगर। गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय गांधीनगर के स्टूडेंट कौंसिल चुनाव में बिरसा आंबेडकर फुले छात्र संगठन (BAPSA) के प्रत्याशी बिरेंद्री ने स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज से भारी मतों से अपनी जीत दर्ज की है. बता दें कि यह चुनाव विश्वविद्यालय में इस बार सिर्फ तीन स्कूल में कराया गया बाकि के स्कूलों में डीन द्वारा नॉमिनेटेड कैंडिडेट आते हैं. इसमें स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज सबसे अहम् माना जाता है. ऐसे समय में अगर बिरसा, आंबेडकर और फुले जैसे विचारधारा वाला संघठन जीते तो और भी दिलचस्प हो जाता हैं. बिरेंदी ने कुल 80 वोट पाकर अपने प्रतिद्वंद्वी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पल्लवी दास (21वोट) और एक स्वतंत्र उम्मीदार रजनी (21 वोट) को करारी शिकस्त दी हैं.
बिरसा आंबेडकर फुले छात्र संगठन के सदस्यों का कहना है कि यह उनका पहला छात्र संगठन चुनाव हैं जब उनके कोई उम्मीदार इस चुनाव में हिस्सा लिया और इतने ज्यादा वोटों से जीते. उन्होंने बताया कि इस चुनाव में उनको लेफ्ट (LDSF) संगठन ने फासीवादी ताकतों को शिक्षण संस्थानों में रोकने तथा यूनिवर्सिटी में प्रजातंत्र स्थापित करने में सहयोग देने के लिए अपना समर्थन दिया. उन्होंने बताया कि यह जीत संविधान को मानने वालों की जीत हैं.
बिरसा आंबेडकर फुले छात्र संगठन के अध्यक्ष हवालदार भारती ने बताया कि बापसा इस विश्वविद्यालय में 15 नवंबर 2017 को ठीक एक साल पहले स्थापित हुआ और आज उन तमाम सामाजिक न्याय पसंद छात्रों की आवाज बनकर काम कर रही हैं. भारती ने बताया कि यह सिर्फ बापसा की जीत नहीं हैं यह जीत बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर, शाहूजी महाराज, ज्योतिबाफुले, माता सावित्रीबाई फुले, फ़ातिमा शेख़, पेरियार, गुरु घासीदास और कबीरदास जैसे उन तमाम बहुजन नायकों की विचारधारा की जीत हैं जिन्होंने भारतभूमि पर सामाजिक न्याय के लिए अपने जीवन के अंतिम समय तक कार्य कियें.
इस चुनाव में स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ से एक और बहुजन छात्र लक्ष्मण चेट्टी ने भीं अपने स्वतंत्र उम्मीदारी से चुनाव जीत लिया. वहीं स्कूल ऑफ़ लैंग्वेज़ लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज से भी एक स्वतंत्र उम्मीदवार मनोहर कुमार ने अपनी जीत दर्ज की.
इसे भी पढ़ें-मध्यप्रदेश में 23 नवम्बर को बसपा प्रमुख की दो बड़ी रैलियां

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।