अम्बेडकरवादी मंजुला प्रदीप की दुनिया भर में चर्चा, मिला यह सम्मान

नई दिल्ली- दुनिया भर में महिलाएं अपने तरीके से समाज और उनमें रची बसी संस्कृति को बदलने में लगी हुई हैं। इन महिलाओं में कुछ खास महिलाएं भी शामिल हैं जो दुनिया को नए सिरे से तलाशने में अपनी भूमिका निभा रही हैं। ऐसी ही महिलाओं को आगे लाती बीबीसी की सबसे प्रेरक और प्रभावशाली 100 महिलाओं की इस साल की सूची, जारी कर दी गई है।

इन 100 प्रभावशाली महिलाओं में दो भारतीय महिलाओं को भी शामिल किया गया है। जिनमें एक हैं मंजुला प्रदीप और दूसरी हैं ऑटिज़्म-अधिकार कार्यकर्ता और नॉट दैट डिफ़रेंट की सह संस्थापिका मुग्धा कालरा।

मंजुला गुजरात के एक दलित परिवार से हैं। वो जातिगत और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ अपने काम के लिए जानी जाती हैं, मंजुला बलात्कार पीड़ितों को मानसिक रूप से मजबूत करने और न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें ट्रेनिंग देती हैं। वो ये मानती हैं कि मानसिक मजबूती ही किसी महिला को उस हादसे से बाहर निकालने में सहायक होती है।

ये मंजुला का संघर्ष ही है कि उन्होंने 50 से ज़्यादा दलित महिलाओं को न्याय के लिए लड़ने में मदद की है और इनमें से कई मामलों में सज़ा दिलाने में कामयाब रही हैं।

पिछले 30 सालों से महिलाओं के अधिकारों के लिए काम कर रही मंजुला प्रदीप ने इसी साल ‘नेशनल काउंसिल ऑफ वीमेन लीडर्स’ की स्थापना की है।

मंजुला दलित अधिकारों के सबसे बड़े आर्गेनाइजेशन नवसर्जन ट्रस्ट की कार्यकारी निदेशक भी रही हैं। इसके अलावा, मंजुला अंतरराष्ट्रीय दलित एकजुटता नेटवर्क की मेंबर भी हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विश्व सम्मेलन में नस्लवाद के खिलाफ, दलित अधिकारों का मुद्दा उठाया है।

मंजुला ने दलित दस्तक से बात की और खुद को मिले इस सम्मान के बारे में बताया।

वंचितों की आवाज़ उठाने वाली मंजुला प्रदीप को बीबीसी से मिले इस सम्मान के लिए दलित दस्तक बधाई देता है और उम्मीद करता है कि वो ऐसे ही महिलाओं के हितों के लिए उनके साथ खड़ी रहें।

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