नई दिल्ली। हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद झारखंड में भी जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में भले ही तमाम दलों के केंद्र में अभी हरियाणा हो, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके नेता एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर झारखंड को उसका बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये मांगा है।
पीएम नरेंद्र मोदी 2 अक्टूबर को झारखंड के दौरे पर पहुंचेंगे। इसके ठीक पहले सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी के सामने बड़ा मुद्दा उठा दिया है। पीएम मोदी के दौरे से पहले हेमंत सोरन ने केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ के बकाया राशि होने का दावा किया है। इसको लेकर सोरेन ने एक्स पर एक पोस्ट लिखी है। इस पोस्ट में लिखा गया है कि ये पैसा केंद्रीय कोल कंपनियों के अधिकार में है। ये राशि नहीं प्राप्त होने पर झारखंड की तरक्की में रुकावट हो रही है। हेमंत सोरेन का कहना है कि बकाया राशि मिलने के बाद वे इस पैसे से झारखंड को विकास के नए पथ पर ले जा सकेंगे।
ये हक़ समस्त झारखंडियों का है। यह हमारे मेहनत, हमारे ज़मीन का पैसा है।
इसे मांगने के कारण ही मुझे बिना किसी कारण जेल में डाला गया।
कल जब प्रधानमंत्री झारखंड में होंगे – तो मुझे पूर्ण आशा है की वे हमारा हक हमें लौटायेंगे pic.twitter.com/FS9jdFY6Co
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) October 1, 2024
हेमंत सोरेन ने अपनी चिट्ठी में लिखा- “झारखंडियों का हक मांगों तो जेल डाल देते हैं, पर अपने हक के लिए हर कुर्बानी मंजूर है। हम भाजपा के सहयोगी राज्यों की तरह स्पेशल स्टेट्स नहीं मांग रहे, ना ही हम कुछ राज्यों की तरह केंद्रीय बजट का बड़ा हिस्सा मांग रहे हैं। हमें बस हमारा हक दे दीजिए, यही मांग है।”
हेमंत सोरेन ने आगे लिखा- “ऐसा विकास जो हमारे पर्यावरण, आदिवासी-मूलवासी एवं हर एक झारखंडी समुदायों के हितों की रक्षा करे। हम शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करेंगे, ताकि हमारे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। हम अपनी भाषा और संस्कृति का और बेहतर संरक्षण करेंगे, ताकि हमारी पहचान बनी रहे, साथ ही हम हमारे युवाओं को रोजगार के नए आयाम उपलब्ध कराएंगे। उसके आभाव में उन्हें उचित भत्ता देंगे।”
साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी के झारखंड दौरे से ठीक पहले हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हेमंत सोरेन की यह चिट्ठी झारखंड के राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी इसका क्या जवाब देते हैं।
‘दलित दस्तक’ में डिजिटल कंटेंट एडिटर अरुण कुमार वर्मा पिछले 15 सालों से सक्रिय पत्रकार हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता करने के बाद अरुण वर्ष 2008 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। हिंदी दैनिक अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत करने के पश्चात राजस्थान पत्रिका व द मूकनायक जैसे प्रिंट व डिजिटल मीडिया संस्थानों में बतौर रिपोर्टर और एडिटर काम किया है। अरुण को 2013 में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए ‘पण्डित झाबरमल पत्रकारिता पुरस्कार’ व वर्ष 2015 में प्रतिष्ठित ‘लाडली मीडिया पुरस्कार’ जीता है। अरुण उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मूल निवासी है।