लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस व बीजेपी पर दलित नेताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। दलित समाज की हरियाणा की कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा का जिक्र करते हुए बहनजी ने उनको बाबासाहेब अम्बेडकर की दुहाई दी।
भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बहनजी ने एक्स पर लिखा कि, कांग्रेस और जातिवादी पार्टियों बुरे समय में दलितों को याद करती हैं और जब अच्छे दिन आ जाते हैं तो उन पर ध्यान नहीं देती हैं।उल्लेखनीय है कि बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद बीजेपी से पहले कुमारी सैलजा को बसपा ज्वॉइन करने का ऑफर दे चुके हैं।
बसपा अध्यक्ष ने सोमवार को सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस सहित अन्य सभी दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी को दलित और संविधान विरोधी बताया है।
एक्स पर बयान जारी कर बहनजी ने कहा कि देश में अभी तक के हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से यह साबित होता है कि खासकर कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियों को अपने बुरे दिनों में तो कुछ समय के लिए दलितों को मुख्यमंत्री व संगठन आदि के प्रमुख स्थानों पर रखने की जरूर याद आती है। लेकिन
ये पार्टियां, अपने अच्छे दिनों में फिर इनको अधिकांशतः दरकिनार ही कर देती हैं। इनके स्थान पर फिर उन पदों पर जातिवादी लोगों को ही रखा जाता है जैसा कि अभी हरियाणा प्रदेश में भी देखने के लिए मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे अपमानित हो रहे दलित नेताओं को अपने मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर से प्रेरणा लेकर इन्हें खुद ही ऐसी पार्टियों से अलग हो जाना चाहिए। अपने समाज को फिर ऐसी पार्टियों से दूर रखने के लिए उन्हें आगे भी आना चाहिए। परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने देश के कमजोर वर्गों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की वजह से अपने केन्द्रीय कानून मन्त्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
बहनजी ने कहा कि इसी से प्रेरित होकर मैंने भी जिला सहारनपुर के दलित उत्पीड़न के मामले में संसद में ना बोलने देने की स्थिति में मैंने इनके सम्मान व स्वाभिमान में अपने राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा भी दे दिया था। ऐसे में दलितों को बाबा साहेब के पद-चिन्हों पर चलने की ही सलाह है।
‘दलित दस्तक’ में डिजिटल कंटेंट एडिटर अरुण कुमार वर्मा पिछले 15 सालों से सक्रिय पत्रकार हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता करने के बाद अरुण वर्ष 2008 से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। हिंदी दैनिक अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत करने के पश्चात राजस्थान पत्रिका व द मूकनायक जैसे प्रिंट व डिजिटल मीडिया संस्थानों में बतौर रिपोर्टर और एडिटर काम किया है। अरुण को 2013 में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए ‘पण्डित झाबरमल पत्रकारिता पुरस्कार’ व वर्ष 2015 में प्रतिष्ठित ‘लाडली मीडिया पुरस्कार’ जीता है। अरुण उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मूल निवासी है।