अंबेडकरी आंदोलन के सजग प्रहरी और मासिक पत्र भीम पत्रिका, जालंधर के संपादक एवं लेखक एल.आर. बाली का छह जुलाई को दोपहर एक बजे निधन हो गया। आने वाले 20 जुलाई को वह 94 साल के होने वाले थे। इस उम्र में भी एल आर बाली बिल्कुल स्वस्थ और सक्रिय थे। उनके करीबियों ने बताया कि दोपहर एक बजे उन्होंने खाना खाया। इसके बाद उन्होंने तबियत खराब होने की बात कही, जिसके बाद उनके करीबी और रिश्तेदार उन्हें अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
एल. आर बाली की जीवन काफी संघर्ष भरा रहा और अंबेडकरी आंदोलन के लिए उन्होंने काफी काम किया। वह बाबासाहेब के संपर्क में लगभग 6 सालों तक रहे। अंबेडकर वांग्मय प्रकाशिक करवाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। बाबासाहेब द्वारा लिखे साहित्य को हिन्दी और पंजाबी पाठकों के लिए मुहैया कराने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही। उन्होंने दर्जन भर से ज्यादा पुस्तकें लिखी थी। एल. आर. बाली ने रंगीला गांधी नाम की किताब लिखी थी, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था। वह अपनी आखिरी सांस तक भीम पत्रिका नाम से पत्र प्रकाशित करते रहें।
दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने पिछले साल सितंबर महीने में उनसे मुलाकात कर उनका इंटरव्यू लिया था।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।