भोपाल। ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ का बिगूल फूंकने वाले मध्यप्रदेश में तेजी से उभरते आदिवासी समाज के संगठन जयस ने प्रदेश की आदिवासी बहुल 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. जायस की घोषणा के बाद कांग्रेस और भाजपा में हलचल तेज हो गई है. जयस ने यह घोषणा 31 अगस्त को जबलपुर में अपने अधिकारों के लिए निकाली गई यात्रा के समापन समारोह के मौके पर की. जयस ने 29 जुलाई, 2018 को मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सातरुण्डा से अपनी यात्रा शुरू की थी.
इस दौरान ‘अबकी बार आदिवासी सरकार के नारे से धार जिले के कुक्षी तहसील का मंडी प्रांगण गूंज उठा। इस ऐतिहासिक आयोजन में आदिवासी समाज के 25 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों ने तय किया कि वो अब किसी के बहकावे में नहीं आएंगे।
यह यात्रा ‘आदिवासी अधिकार महारैली’ आदिवासियों में राजनीतिक-सामाजिक चेतना के विकास एवं नये युवा आदिवासी नेतृत्व पैदा करने के उद्देश्य से निकाली गयी थी. मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब आदिवासी बहुल 20 जिलों के गाँव-जंगल होते हुए इतने बड़े भूभाग में कोई महारैली निकाली गई. महारैली में आत्मसम्मान एवं संबैधानिक अधिकार के मुद्दे पर आदिवासियों को एकजुट होने का आह्वान किया गया.
इस दौरान जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा ने आदिवासी युवाओं से वादा लिया कि मध्य प्रदेश के आगामी चुनाव में सत्ता मूलनिवासियों के हाथ में होगी. यह रैली इस मायनों में भी ऐतिहासिक रही क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ जब मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज में बिनी किसी राजनीतिक सहयोग के अपने दम पर इतना बड़ा आयोजन किया.
डॉ अलावा ने शिवराज सरकार पर आदिवासियों से धोखा करने और मारने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शिवराज कंस मामा है, जो अभी तक सो रहा था। अभी तक संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और वनाधिकार कानून का पालन न करके आदिवासियों को 70 साल पीछे धकेल दिया. डॉ अलावा ने वादा किया कि हमारी सरकार बनने के बाद 6 महीने के अंदर अंदर इन सभी नियमों का पालन कर आदिवासियों का उद्धार करेंगे. उन्होंने कहा कि जयस आदिवासी ओबीसी दलित और समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े हर व्यक्ति के साथ हैं.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश के भूतपूर्व एडवोकेट जनरल ऑफ हाईकोर्ट, आनंद मोहन माथुर ने कहा कि इस सरकार ने आदिवासियों के जल जंगल जमीन को लूटा है और तबाह कर दिया है. अब समय आ गया है कि इस सरकार की विदाई कर दी जाए.
जयस के आदिवासी अधिकार महारैली में आदिवासियों की उमड़ी भीड़ से भाजपा-कांग्रेस पहले से ही सहमी हुई थी और आज के कार्यक्रम में भाजपा-कांग्रेस के सारे समीकरण फेल हो चुके हैं। आदिवासी वोट खिसकने से जहां भाजपा बेचैन है, वहीं सरकार बनाने के सपने देखने वाली कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई. है. अगर आदिवासी समाज जयस के दावों पर मुहर लगा देगा तो मध्यप्रदेश के चुनाव के बाद जयस एक महत्वपूर्ण फैक्टर बन कर सामने आ सकता है.
ज्ञात हो कि आदिवासी अधिकार महारैली के प्रथम चरण की शुरुआत 29 जुलाई, 2018 को मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सातरुण्डा से शुरू हुई थी, जो– झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास होते हुए हरदा तक कुल 10 जिलों में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई थी. दूसरा चरण 16 अगस्त, 2018 को होशंगाबाद से शुरू होकर बैतूल होते हुए रायसेन के अब्दुल्लागंज में 18 अगस्त, 2018 को सफलतापूर्वक संपन्न हुई. इसका तीसरा चरण 28 अगस्त, 2018 को शहडोल जिले से शुरू होकर अनूपपुर, सीधी, उमरिया, डिंडोरी, मंडला होते हुए 31 अगस्त, 2018 को जबलपुर में संपन्न हुई और एक इतिहास रच दिया.
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