नई दिल्ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत से जीताने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की बड़ी भूमिका मानी जाती है. 2019 के चुनाव में जब भाजपा का सत्ता में वापसी करना आसान नहीं दिख रहा है, संघ ने एक बार फिर कमान संभाल ली है. भाजपा की जीत को पक्का करने के लिए संघ मैदान में उतर गया है. खास बात यह है कि इस रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए संघ अपने 100 प्रचारकों को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. ये प्रचारक जमीन पर भाजपा की कमान संभालेंगे. और इसके लिए ये प्रचारक बकायदा भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
खबर है कि लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए हरियाणा के सूरजकुंड में संघ और भाजपा की 14 से 17 जून तक बैठक चली, जिसमें संयुक्त रूप से चुनाव में काम करने की रणनीति बनी. इसी दौरान संघ के 100 प्रचारकों को बीजेपी में शामिल करने का फैसला लिया गया. ये प्रचारक अभी तक विभिन्न राज्यों में बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री या पार्टी के किसी न किसी संगठन से जुड़े हुए थे.
इस बैठक की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, डॉ. कृष्ण गोपाल और सुरेश सोनी शामिल हुए. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, संगठन महासचिव रामलाल और सह संगठन महासचिव वी सतीश भी बैठक में मौजूद थे.
जिन सौ प्रचारकों को भाजपा में शामिल किया गया है, उनकी कई स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका होगी. ये 2019 में टिकटों को तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. ये पार्टी के सभी सांसदों के कामों और लोकप्रियता की समीक्षा करेंगे, जिसके आधार पर टिकट दिए जाएंगे. इनसे अगले एक महीने के भीतर ही रिपोर्ट देने को कहा गया है.
असल में सूरजकुंड की बैठक के दौरान ही आरएसएस और बीजेपी के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर डिनर दिया था. इसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के संगठन मंत्री रामलाल और अन्य कई प्रमुख संघ नेता मौजूद रहे. संघ के इस साथ का भाजपा को कितना साथ मिलेगा यह आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे.
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