पटना। बिहार महादलित विकास मिशन में हुए ट्रेनिंग घोटाला मामले में तीन आईएएस अधिकारी सहित दस लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिसके बाद से मुख्य आरोपी आईएएस एसएम राजू अपने विभाग और आवास से गायब हो गये हैं. सामान्य प्रशासन विभाग ने आईएएस एसएम राजू को उपस्थित होकर नोटिस लेने और जवाब देने का निर्देश दिया है. साथ ही विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वह उपस्थित नहीं होते हैं, तो विभाग एकतरफा कार्रवाई करेगा.
गौरतलब है कि एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में आईएएस एसएम राजू को निलंबित कर दिया गया है. उसके बाद से न तो वह कार्यालय आ रहे हैं और न ही सरकारी आवास पर हैं. बिहार दलित विकास मिशन में ट्रेनिंग घोटाले की शिकायत वर्ष 2016 में निगरानी ब्यूरो को मिली थी. इसमें अब तक चार करोड़ 25 लाख रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी सामने आ चुकी है. आशंका जतायी गयी है कि यह राशि और भी ज्यादा हो सकती है.
जांच में दोषी पाये जाने के बाद एसएम राजू सहित दो आईएएस और अन्य सात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. एसएम राजू एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले में भी मुख्य अभियुक्त हैं. अन्य दो आईएएस अधिकारी तत्कालीन सचिव रवि मनुभाई परमार और मिशन के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक निदेशक केपी रमैय्या शामिल हैं. केपी रमैय्या ने आईएएस के पद से वीआरएस ले लिया है. वर्तमान में वह बिहार भूमि न्याय अधिकरण में सदस्य (प्रशासनिक) के पद पर हैं. इन तीन आईएएस के अलावा एक प्रोन्नत आईएएस रामाशीष पासवान तथा मिशन के अन्य अधिकारियों और निजी एजेंसी शामिल हैं. सभी आरोपियों के खिलाफ जालसाजी, फरेबी, धांधली, घपले से जुड़ी सभी धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम की दो अहम धाराओं 120बी, 13(2)डी और 13(1)डी के तहत मामले दर्ज किये गये हैं.
आरोपितों में कौन-कौन है शामिल
एसएम राजू : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह तत्कालीन सचिव एससी-एसटी विभाग
रवि मनु भाई परमार : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी
के पी रमैय्या : बीडीडीएम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी
रामाशीष पासवान : बीडीडीएम के तत्कालीन मिशन निदेशक
प्रभात कुमार : बीडीडीएम के तत्कालीन मिशन निदेशक
देवजानी कर- बीडीडीएम के राज्य परियोजना निदेशक
उमेश मांझी : बीडीडीएम के राज्य परियोजना प्रबंधक
शरद कुमार झा : निदेशक, कोलकाता स्थित ट्रेनिंग एजेंसी आईआईआईएम लिमिटेड.
सौरभ वसु : नयी दिल्ली स्थित एसआरएनएच कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन)
जयदीप कर : जगत अमरावती अपार्टमेंट, बेली रोड (हड़ताली मोड़ के नजदीक). इसने मुख्य रूप से सेटिंग और दलाली का काम किया है. इसमें अन्य अज्ञात लोगों को भी अिभयुक्त बनाया गया है.
कैसे हुआ ट्रेनिंग घोटाला
बिहार राज्य महादलित विकास मिशन दलित समुदाय के छात्रों को 16 से ज्यादा ट्रेडों में कौशल विकास के तहत मुफ्त ट्रेनिंग देता है. ट्रेनिंग का पूरा खर्च राज्य सरकार देती है. इसके लिए निजी एजेंसियों का चयन किया जाता है. इन ट्रेनिंग कार्यक्रमों को संचालित कराने के लिए मिशन निजी एजेंसियों को कई स्तर पर निर्धारित मानकों पर इनका चयन करता है.
इस पूरे मामले में हुई अब तक की जांच में तीन तरह से की गयी धांधली सामने आयी है. जिन ट्रेनिंग सेंटरों में दलित छात्रों का नामांकन एक जिले में किया गया है, उन्हीं छात्रों का नाम दूसरे, तीसरे और चौथे ट्रेनिंग में दर्ज करवा कर पैसे निकाल लिये गये. इस तरह एक छात्र के नाम पर कई बार रुपये निकाले लिये गये. इसके अलावा कई ऐसी एजेंसियों को ट्रेनिंग सेंटर दे दिया गया, जो सिर्फ कागज पर ही मौजूद हैं. इनका हकीकत में कोई अता-पता ही नहीं है.
कई ऐसी एजेंसियों को भुगतान कर दिया गया, जिनमें कभी कोई ट्रेनिंग हुई ही नहीं है. इस तरह से पूरे ट्रेनिंग कार्यक्रमों को कागजी तौर पर संचालित करके सवा चार करोड़ से ज्यादा सरकारी राशि का गबन किया गया है, जिसमें बड़े अधिकारी से लेकर सभी स्तर के सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत है. जांच में अभी कई लोगों के नाम सामने आने और घोटाले की राशि बढ़ने की आशंका जतायी गयी है.
प्रभात खबर से साभार

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