Thursday, April 24, 2025
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 जाति जनगणना पर पीएम मोदी से मिले बिहार के बहुजन नेता, जानिए क्या हुई बात

 पिछले करीब एक दशक से जातिगत जनगणना की मांग काफी तेज हुई है। खासकर ओबीसी की जातियां इस मुद्दे पर ज्यादा मुखर हैं। लेकिन केंद्र सरकार लगातार जाति जनगणना के सवाल पर या तो चुप्पी साधे है या फिर इस सवाल को ही टालने में जुटी रही। हालांकि अब जाति जनगणना के सवाल को टालना संभव होता नहीं दिख रहा है। इस मद्दे पर बिहार के 10 राजनीतिक दलों के 11 नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में हुई यह मुलाकात करीब 40 मिनट से ज्यादा चली। खास बात यह रही कि मोदी से मिलने वालों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव तक शामिल रहे।

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 बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि- बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों का जातिगत जनगणना को लेकर एक मत है। हम सभी ने प्रधानमंत्री से इसकी मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार के एक मंत्री का बयान आया था कि जाति के आधार पर जनगणना नहीं होगी। इसलिए हम सभी ने प्रधानमंत्री से मिलकर बात की। उन्होंने हमारी पूरी बात सुनी, उन्हें हर पहलू से अवगत कराया गया है।

राजद नेता तेजस्वी यादव भी पीएम मोदी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि- जातियों को ओबीसी में शामिल करने का हक राज्य सरकारों को दे दिया गया है, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होगा। क्योंकि, हमारे पास कोई आंकड़े ही नहीं हैं। जातिगत जनगणना राष्ट्रहित में ऐतिहासिक काम होगा। एक बार आंकड़े सामने आ जाएंगे तो सरकारें उसके हिसाब से कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू कर पाएंगी। मंडल कमीशन के बाद पता चला कि हजारों जातियां देश में मौजूद हैं। जब पेड़ और जानवरों की गिनती होती है तो जातीय सेन्सस क्यों नहीं हो? जब धर्म पर सेन्सस होता है तो जाति पर क्यों नहीं?

देश में 1931 में पहली बार जातिगत जनगणना हुई थी। इसके बाद 2011 में ऐसी ही जनगणना करवाई गई, लेकिन सरकार की ओर से इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए। लेकिन अब केंद्र पर इसको लेकर काफी दबाव है। बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास हो चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी से मिलने जाने वाले नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, भाजपा नेता एवं मंत्री जनक राम, वीआईपी मुकेश सहनी, कांग्रेस नेता अजीत शर्मा, सीपीआई विधायक सूर्यकांत पासवान, सीपीएम विधायक अजय कुमार, भाकपा माले विधायक महबूब आलम और एआईएमआईएम विधायक अख्तरूल इमान शामिल थे। यानी साफ है कि जाति जनगणना के सवाल पर अब बिहार पीछे हटने वाला नहीं है। बिहार के दलित-पिछड़े समाज के नेताओं की यह एकता निश्चित तौर पर जाति जनगणना के मामले में निर्णायक साबित होगी।

(फोटो साभार- गूगल)

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