पटना। अम्बेडकर छात्रावास अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों के लिए एक सहारे की तरह रहा है. गरीब वर्ग के दलित छात्र यहीं अपने जीवन के सपने बुनते हैं. अपने समाज के अन्य छात्रों के बीच रहकर उनका विकास होता है. लेकिन बिहार सरकार इसमें सेंधमारी करने जा रही है. बिहार सरकार ने अम्बेडकर छात्रावास में सवर्ण छात्रों को रहने की इजाजत दे दी है. सरकार ने इसके लिए कागजी फरमान भी जारी कर दिया है, जिसमें साफ लिखा है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति के छात्रावास में एससी/एसटी छात्रों की सीटें खाली रहने पर ओबीसी (पिछड़ा) और फिर जनरल (सामान्य) छात्र अम्बेडकर हॉस्टल में रह सकते हैं.
बिहार सरकार के अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण विभाग के प्रधान सचिव प्रेम सिंह मीणा के द्वारा इस आशय का आदेश 15-07-2016 पत्रांक- 4680 को जारी किया जा चुका है. बिहार सरकार के इस फैसले ने दलितों को एक और झटका दिया है. पूर्व में प्रशासनिक अधिकारी रहे एवं वर्तमान में लेखन और पत्रकारिता में सक्रिय बुद्ध शरण हंस ने सरकार की इस मंशा पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर ऐसा कर रही है तो यह पूरी तरह से दलित विरोधी षड्यंत्र है. अम्बेडकर छात्रावास स्पेशल कंपोनेंट प्रोग्राम के तहत एससी/एसटी वेलफेयर के लिए जारी पैसे से बनता है. यह छात्रावास सिर्फ एससी/एसटी छात्रों के लिए होता है. इसमें दूसरे वर्ग के छात्र कैसे रह सकते हैं. बुद्ध शरण हंस ने सवाल उठाते हुए कहा कि अम्बेडकर हॉस्टल में सीटें खाली रहने का तो सवाल ही नहीं है, क्योंकि अब तो ज्यादा बच्चे आ रहे हैं. मुझे शक है कि कहीं सरकार बाद में यह न कहने लगे कि छात्रावास सिर्फ योग्य एससी छात्रों को ही दिया जाएगा. इसी सरकार ने हाल ही में एससी वर्ग के कर्मचारियों का आरक्षण में प्रोमोशन हटाया है वह भी सबके सामने हैं. नीतीश असल में भाजपा के आदमी हैं और उसी तरह से काम कर रहे हैं. नीतीश और लालू की यह सरकार दलितों का काफी नुकसान कर रही है.
गौरतलब है कि हाल ही में बिहार में दलित छात्रों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान भी पुलिस ने उन्हें जमकर पीटा था. हकीकत यह भी है कि विधानसभा चुनाव में दलितों के वोट से ही चुनाव में पिछड़ रहे नीतीश-लालू गठबंधन को जीत मिल पाई थी. लेकिन सरकार आने के बाद से लेकर अब तक सरकार ने ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिससे दलित समाज के छात्रों और कर्मचारियों के हित की अनदेखी हुई है. इससे पहले टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में दलितों की सीट सवर्णों को दिया जा चुका है. इस पूरे मामले पर अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला से उनका पक्ष जानने के लिए उनके नंबर पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. दलित दस्तक द्वारा उन्हें मैसेज भी किया गया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला.