रांची। झारखंड की राजधानी रांची में आदिवासियों के भगवान कहे वाले बिरसा मुंडा की 150 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ उलगुलान’ के नाम से जाना जाएगा. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने 13 नवंबर को स्टैच्यू ऑफ उलगुलान के प्रारूप का अनावरण किया. बिरसा मुंडा की 150 फीट ऊंची प्रतिमा बुंडू में स्थापित होगी. उलगुलान फाउंडेशन ने अनावरण समारोह का आयोजन किया.
प्रतिमा को स्थापित करने के लिए बुंडू में निर्माण कार्य जल्द ही प्रारंभ किया जायेगा. फाउंडेशन के संरक्षक सुदेश कुमार महतो का कहना है कि हमारा प्रयास उलगुलान के महानायक भगवान बिरसा की गौरव गाथा तथा आन- बान-शान को देश-दुनिया के फलक पर स्थापित करना है.
फाउंडेशन के सचिव विकास कुमार मुंडा ने कहा कि हमारी कोशिश भगवान बिरसा के गौरवशाली इतिहास को लेकर एक लंबी लकीर खींचने की है, ताकि आनेवाले वक्त में कोई भी बिरसा मुंडा समेत अन्य अमर शहीदों के बलिदानों को छोटा साबित करने की हिमाकत नहीं कर सके़.
आदिवासी वीर योद्धा भगवान बिरसा मुंडा की 142वीं जयंती 15 नवंबर को है. जिसे जिले में अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इसमें आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, वाद्य यंत्रों, वेशभूषा के साथ आदिवासी समाज के लोग एकत्रित होंगे. अभी तक आदिवासी योद्धाओं को इतिहास में जगह नहीं दी गई और न ही राष्ट्रीय स्तर पर सरकार द्वारा इनकी जयंतियां मनाई गई.
बिरसा मुंडा, टंट्या मामा, खाज्या नायक, राणा पूंजा भील, झलकारी बाई, तिलका मांझी, दलितों और पिछड़ा वर्ग में शिक्षा की अलख जगाने वाले ज्योतिबा फूले हो या उनके सहयोगी फातिमा सहित ऐसे कई क्रांतिकारियों को न इतिहास में जगह मिली और न ही उन्हें याद किया जाता है.
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