उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के लिए प्रदेश के करोड़ों युवाओं को नौकरी देने का लालच देने वाले योगी आदित्यनाथ 2022 का चुनाव सामने देखकर एक बार फिर जागे हैं। 19 अगस्त को विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ कई घोषणाएं कर के यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना एजेंडा लगभग घोषित कर दिया। योगी आदित्यनाथ ने जो लोकलुभावन घोषणाएं की है, उसमें हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण, युवाओं और कर्मचारी वर्ग को लुभाने की कोशिश, और दलितों को लालच देकर सत्ता में वापसी करने की राह बना रही है।
हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भाजपा उत्तर प्रदेश के तीन जिलों जो मुस्लिम बहुल आबादी वाले हैं, उनका नाम बदलने की तैयारी में है। फ़िरोज़ाबाद का नाम चंद्रनगर, अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ और मैनपुरी का नाम मयन नगरी करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री ऑफिस भेजा जा चुका है। अब मुख्यमंत्री योगी को इस मामले में आख़िरी फ़ैसला लेना है, जो कि निश्चित है कि वह सही समय देख कर ले ही लेंगे।
इसी तरह 2022 के चुनाव को देखते हुए युवाओं को साधने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक करोड़ युवाओं को टैबलेट या स्मार्ट फोन देने की बात कही। हालांकि वो युवा कौन होंगे और उनको कैसे चिन्हित किया जाएगा, यह अभी नहीं बताया गया है। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब देश कोविड से जूझ रहा था और बच्चे ऑनलाइन क्लासेज कर रहे थे और उन्हें स्मार्ट फोन की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब योगीजी को स्मार्ट फोन बांटने का ख्याल क्यों नहीं आया? अब, जब इसी सरकार ने स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है, और चुनाव सामने है, तो इस योजना का कोई मतलब नहीं है। यह सीधे तौर पर युवाओं को लालच देने जैसा है। राज्य के 16 लाख कर्मचारियों और 12 लाख पेंशनरों को 11 फीसदी महंगाई भत्ता और महंगाई राहत देने की घोषणा भी ऐसी ही है।
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एक बड़ी चुनावी घोषणा करते हुए सीएम योगी ने माफियाओं से जब्त जमीन पर दलितों-गरीबों के लिए मकान बनवाने की घोषणा की। योगी के मुताबिक सरकार ने माफियाओं की 1500 करोड़ रुपए की सम्पत्तियां जब्त कर ली हैं और इसी जमीन पर वैसे गरीबों और दलितों के लिए मकान बनवाने की बात कही है, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है।
अब सवाल यह है कि जब उत्तर प्रदेश चुनाव की दहलीज पर खड़ा है, और तीन से चार महीने बाद कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है, योगी एक करोड़ युवाओं को टैबलेट और स्मार्ट फोन कब बाटेंगे? क्या योगी, माफियाओं की जमीन पर दलितों और गरीबों को इन चार महीनों में पक्का मकान बनवाकर दे देंगे?
जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जनता को लुभा रहे थे, उस दौरान उन्होंने अपने काम भी गिनवाएं। सीएम योगी अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे धार्मिक स्थलों पर हुए विकास कार्यों को गिनवाते रहें। लेकिन यूपी के 75 जिलों में क्या सिर्फ तीन जिलों का ही विकास होना था? और वो भी सिर्फ धार्मिक विकास? योगी आदित्यनाथ ने पांच करोड़ युवाओं को नौकरी देने का जो वादा किया था, वह वादा कहां गया?
इसी तरह सरकार ने क़रीब 86 लाख लघु और सीमांत किसानों के 36 हज़ार करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ़ करने की घोषणा की। सरकार की इस घोषणा के बाद तमाम किसानों के कर्ज़ माफ़ ज़रूर हुए लेकिन लाखों रुपये के बकाए किसानों के जब दो रुपये और चार रुपये के कर्ज़ माफ़ी के प्रमाण पत्र मिलने लगे तो बैंकों के इस गणितीय ज्ञान ने किसानों को हैरान कर दिया। ऐसे किसानों ने बैंकों से लेकर सरकार तक न जाने कितने चक्कर लगाए लेकिन बैंकों की गणित को वो झुठला नहीं पाए।
दरअसल योगी सरकार ने ऐसी कोई नीति नहीं बनाई जो आम आदमी के लिए हो। प्रदेश में जिस उज्जवला योजना और सस्ता अन्न योजना का थोड़ा-बहुत लाभ गरीब जनता को मिला भी है, वो केंद्र सरकार की योजना है, न कि योगी सरकार की। इसमें भी सिलेंडर के बढ़ते दामों के कारण उज्जवला योजना की हवा निकल चुकी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि विकास के नाम पर चार साल से ज्यादा समय तक चुप्पी साधने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जो घोषणाएं की है, उस पर प्रदेश की जनता आखिर यकीन करे तो कैसे करें?
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।