दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के आईटी सेल का चीफ़ मेरे बारे में अफवाह फैला रहा है. मैं तो बस धूलकण हूं. क्या बीजेपी ने मेरे पीछे पार्टी के पदाधिकारियों को भी लगा दिया है? मुझे उसके लाखों कार्यकर्ताओं की शालीनता और गरिमा पर पूरा भरोसा है. अमित मालवीय के फैलाए झूठ के उकसावे में वे कभी नहीं आएंगे. जो चुप रह जाएंगे वो भाजपा और संघ की जो भी विरासत है, उसे मेरी ख़ातिर मामूली बना देंगे.
ईश्वर अमित मालवीय की पार्टी को हर बड़ी जीत दे और मुझे हर बार उतनी ही बड़ी हार ताकि मैं दुनिया को बता सकूं कि सबसे बड़ी पार्टी मेरे पीछे पड़ गई है. उसकी ख़ातिर अपने लिए हार मांग रहा हूं. दुनिया के पहले ज़ीरो टीआरपी एंकर से आईटी सेल का चीफ घबरा गया. इस बात से कि प्रेस क्लब के मेरे भाषण को अस्सी नब्बे लाख या एक करोड़ से अधिक लोगों ने सुना है. इसलिए उस भाषण को संदिग्ध बनाने के लिए उसके काटे गए एक हिस्से को अमित मालवीय ने ट्वीट किया. मैं अपनी हार कबूल करता हूं. सिर्फ इसलिए कि भारत की धरती पर मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं की शान में कमी न आए. मैं नहीं चाहता कि ज़मीन पर कार्यकर्ताओं को अमित मालवीय जैसों की करतूत से शर्मिंदा होना पड़े.
शुक्रिया प्रतीक. अमित मालवीय के फैलाए गए झूठ का पर्दाफ़ाश कर हिन्दू देवी देवताओं का मान बढ़ाने के लिए. हमारे देवी देवताओं की शान इसी में है कि वे हमेशा सत्य के साथ रहें. कोई ऐसा पैदा हो जाए जो झूठ का गिरेबां पकड़ ले. भले ही झूठ बोलने वाले देवी देवताओं के आगे पीछे नाचते गाते रहें. ईश्वर को भी पता है कि जो नाच रहा है वो दरअसल उसकी शान के लिए नहीं, अपनी सत्ता के लिए नाच रहा है.
अमित मालवीय ने न सिर्फ प्रधानमंत्री की पार्टी को शर्मिंदा किया है, अमित शाह जैसे मेहनती अध्यक्ष की पार्टी को शर्मिंदा किया है बल्कि मोहन भागवत के संघ को भी छोटा कर दिया है. अगर झूठ के आधार पर ही इक़बाल कायम करना है, तो आपको सदियों तक राज मुबारक. मैं इसी में खुश हूं कि मेरे नाम से उस खेमे में किसी की रातों की नींद उड़ जाती है. मैं तो जनता के खेमे का हूं, उसी खेमे में बना रहूंगा.
अल्ट न्यूज ने किया खुलासा, पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से साभार
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।