अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. गुजरात की सत्ता पर दो दशक से काबिज बीजेपी के लिए इस बार राह आसान नहीं है. 23 सितंबर को संकल्प दिवस के सौ साल पूरा होने पर गुजरात के वडोदरा पहुंच कर मायावती ने जहां वहां के दलित समुदाय को उनके साथ होने का संकेत दे दिया है तो राहुल गांधी भी मोदी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
लेकिन राजनैतिक दलों के अलावा तीन ऐसे युवा भी हैं जो मोदी और शाह की मुश्किल बढ़ा सकते हैं. इसमें पट्टीदार आंदोलन चलाने वाले हार्दिक पटेल हैं तो वहीं ऊना आंदोलन के बाद तेजी से चर्चा में आए जिग्नेश मेवाणी का नाम भी शामिल है. अल्पेश ठाकुर तीसरा ऐसा नाम है, जो भाजपा के वापस गुजरात की सत्ता में आने का रास्ता मुश्किल बना सकते हैं.
पटेल आरक्षण आंदोलन के जरिए हार्दिक पटेल को प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में नई पहचान मिली. हार्दिक पटेल ने आंदोलन के जरिए गुजरात की तस्वीर को बदल कर रख दिया. गुजरात में पटेल समुदाय करीब 20 फीसदी हैं, जो सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. सीटों की बात करें तो राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर पटेल समुदाय का प्रभाव है. पिछले दो दशक से राज्य का पटेल समुदाय बीजेपी का परम्परागत वोटर रहा है, जो फिलहाल नाराज माना जा रहा है.
इसी का नतीजा रहा कि 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव में सौराष्ट्र की 11 में से 8 पर कांग्रेस विजयी रही और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा चुनाव रहते बीजेपी पटेलों की नाराजगी को दूर नहीं किया तो जीत का सिलसिला जारी रखना आसान नहीं होगा. केशुभाई पटेल जैसे दिग्गज पटेल नेता भी पटेलों को भाजपा के खिलाफ करने में सहायक होंगे.
गुजरात में युवा दलित नेता के तौर पर जिग्नेश मेवाणी ने अपनी पहचान बनाई है. जिग्नेश पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. मेवाणी ने ऊना में गोरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई के खिलाफ हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था ‘आजादी कूच आंदोलन’ में जिग्नेश ने 20 हजार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी. मेवाणी के उस आंदोलन से अब भी गुजरात के दलित जुड़े हुए हैं. इस आंदोलन को हर वर्ग का समर्थन मिला. ऊना आंदोलन में दलित मुस्लिम एकता का बेजोड़ नजारा देखा गया. सूबे में करीब 7 फीसदी दलित मतदाता हैं.
अल्पेश ने अन्य पिछड़ा वर्ग के 146 समुदायों को एकजुट करने का महत्वपूर्ण काम किया है. एक रैली के दौरान अल्पेश ने धमकी दी थी कि अगर पटेलों की मांगों के सामने बीजेपी शासित गुजरात सरकार ने घुटने टेके तो सरकार को उखाड़ फेंका जाएगा. अल्पेश लगातार बीजेपी को निशाने पर ले रहे हैं. अल्पेश ने गुजरात के करीब 80 देहात की विधानसभा सीटों पर बूथ स्तर पर प्रबंधन का काम किया है. माना जाता है कि उनके पास ओबीसी समाज का साथ है, जो कि गुजरात में 60 से ज्यादा सीटों पर अपना असर रखता है.

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