पटना। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ की रिलीज़ डेट जितनी करीब आती जा रही है, उतना ही फिल्म को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है. कई राजपूत संगठन फिल्म पद्मावती में इतिहास से छेड़छाड़ की बात कर रहे हैं. बिहार के उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह के बाद भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू भी इस विवाद में शामिल हो गये. पटना जिले के बाढ़ से बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने मंगलवार का कहा कि पद्मावती फिल्म को बिहार में रिलीज नहीं होने देंगे. पद्मावती फिल्म में अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के पैसे लगे हैं. फिल्म के द्वारा हिंदू संस्कृति पर हमला किया गया है. इस फिल्म को बिहार के सिनेमाघरों में नहीं चलने दिया जाएगा.
वहीं, इससे पहले बिहार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा था कि रानी पद्मावती के इतिहास को फिल्म में अगर तोड़ मरोड़ कर दिखाया गया तो वे इसका विरोध करेंगे, क्योंकि रानी पद्मावती एक आदर्श के रूप में इतिहास में स्थापित हैं. वे जाति व धर्म से ऊपर हैं. उनके इतिहास को गलत ढंग से दिखाना जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा. फिल्म देखने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
बता दें कि फिल्म पद्मावती को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि फिल्म में रानी पद्मावती को कई जगहों पर नाचते हुए दिखाया गया है जो कि गलत है. इस प्रकार रानी पद्मावती को नीचा दिखाया गया है और इतिहास से छेड़छाड़ की गई है. रानी पद्मावती हम राजपूतो के लिए त्याग, तपस्या, बलिदान की प्रेरणस्त्रोत है, जो कि पूज्यनीय है. फिल्म पद्मावती से हमारी आस्था को गहरी ठेस पहुंची है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि अल्लाउद्दीन खिलजी को फिल्म में महान बताया गया है जो कि पूरी तरह से गलत है. हालांकि, पद्मावती का विरोध होने के बाद डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने कहा था कि इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जिसे लेकर विरोध किया जा रहा है. इसके बाद फिल्म में पद्मावती का किरदार निभा रही दीपिका पादुकोण ने इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर स्मृति ईरानी को टैग करते हुए ट्वीट किया था कि इस तरह की घटनाओं पर एक्शन लिया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि, फिल्म पद्मावती 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है. इसमें दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अहम भूमिका में हैं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।