गांधीनगर। गुजरात में चुनावी माहौल के बीच भाजपा विधायक और दलित नेता जेठा सोलंकी ने शनिवार को विधायक पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. जेठा सोलंकी संसदीय सचिव भी थे. कोली समुदाय के नेता सोलंकी ने पहले विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा को विधायक पद से इस्तीफा दिया. बाद में भाजपा मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघाणी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा सौंपा. सोलंकी गिर सोमनाथ जिले के कोडीनार विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे.
पत्रकारों से बातचीत में सोलंकी ने भाजपा पर उनकी और दलित मुद्दों की अवहेलना करने का आरोप लगाया. दलित नेता ने कहा कि पार्टी ने जब उन्हें बताया कि इस बार मुझे टिकट नहीं दिया जाएगा तो मुझे निराशा हुई थी. उन्होंने कहा कि मैंने एक विधायक और संसदीय सचिव के तौर पर भाजपा से इस्तीफा दे दिया है. मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया है क्योंकि पार्टी ने मेरी बातों को सुनना बंद कर दिया है.
उना दलित अत्याचार मामले का हवाला देते हुए सोलंकी ने कहा कि भाजपा के इस शासन में दलित समुदाय ने कई अत्याचार का सामना किया है. समुदाय कठिन स्थिति का सामना कर रहा है. सोलंकी ने कहा कि उना घटना के दौरान इससे पहले आनंदीबेन पटेल के शासन में कुछ कदम उठाए गए थे लेकिन विजय रूपाणी के मुख्यमंत्री बनने पर उनकी सरकार ने दलितों के उत्थान के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
कोडीनार सहित 88 सीटों के पर पहले चरण में 9 दिसंबर को चुनाव होगा. इससे पहले सोशल मीडिया में उनके इस्तीफे की प्रति के वायरल होने के बाद उन्होंने इससे इंकार किया था. बाद में उन्होंने इस्तीफा देने की बात स्वीकार कर ली.

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