नई दिल्ली। बिहार में इन दिनों आरक्षण को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। कोई दलित आरक्षण के विरोध में बयान दे रहे हैं तो कोई सवर्णों को भी आरक्षण देने की मांग करने लगे हैं। राजनीतिक मंच से निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर ने 26 अगस्त को दलित आरक्षण का विरोध करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने की मांग की. सीपी ठाकुर ने कहा कि, “दलितों की सिर्फ दो पीढ़ियों को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जाना चाहिए, और इसके बाद उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए.
दलित आईएएस अधिकारी के बेटे को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए.” उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग करते हुए कहा कि, “आज देश में सवर्णों की हालत काफी खराब हो चुकी है. इस समाज के पिछड़े लोगों को भी आरक्षण मिलना चाहिए.”
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा सांसद ने आरक्षण को लेकर इस तरह का बयान दिया है. इससे पहले भी वे जाति आधारित आरक्षण को समाप्त करने की वकालत कर चुके हैं. वे आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने के पक्ष में हैं.
वहीं, दूसरी ओर एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने एक राजनीतिक मंच से निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा कि, “सरकारी क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही है. इसलिए निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे लोगों के अधिकार का हनन हो रहा है. जज अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं. दलित, पिछड़े, आदिवासी और गरीब सवर्ण के मेधावी बच्चे जज नहीं बन सकते हैं. यह संविधान का उल्लंघन है. इसलिए इस प्रणाली में भी बदलाव होना चाहिए.”
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