फिल्म काला में रंग को लेकर एक संवाद काफी मशहूर हुआ था. जब नाना पाटेकर काला का किरदार निभाने वाले रजनीकांत से पूछते हैं कि ये काला कैसा नाम है? तो रजनीकांत जवाब देते हैं कि काला मेहनतकश लोगों का रंग है. लेकिन इसी फिल्म इंडस्ट्री में काले रंग के कारण एक शानदार कोरियोग्राफर को काम नहीं मिला था. वो कोरियाग्राफर फिल्म जगत में आज अपनी पहचान बना चुके रेमो डिसूजा हैं.
15 जून को रिलिज हुई फिल्म रेस-3 के डायरेक्टर रेमो डिसूजा ने रंग को लेकर फिल्म जगत में होने वाले भेदभाव की पोल खोली है. दैनिक अखबार हिन्दुस्तान को दिए इंटरव्यू में रेमो ने यह बात बताई है. आज रेमो एक चर्चित नाम है और फिल्म जगत में हर कोई उनकी प्रतिभा का कायल है. लेकिन एक वक्त ऐसा था जब रेमो को उनके काले रंग की वजह से काम नहीं मिला था.
इस इंटरव्यू में रेमो ने कहा-
“रामगोपाल वर्मा की रंगीला के लिए मैंने डांसिंग ऑडिशन दिया था. वहां सभी को मेरा डांस पसंद आया था, पर अंतिम समय में अहमद खान ने मुझे मना कर दिया, क्योंकि उन्हें एक गोरा-चिट्टा लड़का चाहिए था, जो मैं नहीं था. उस दिन मैं काफी दुखी था, क्योंकि मैं सब बदल सकता हूं लेकिन अपना रंग और शक्ल-सूरत नहीं बदल सकता था.” हालांकि रेमो डिसूजा का डांस अहमद खान के असिस्टेंट को काफी पसंद आय़ा और उन्हें रंगीला फिल्म के गाने ‘… आई रे’ के लिए रख लिया गया.
रेमों की यह बात रंग को लेकर लोगों के नजरिए को बताता है, साथ ही यह भी साफ करता है कि गोरा रंग नहीं होने के कारण देश के एक बहुत बड़े तबके को कई बार बेइज्जत तक होना पड़ता है. देश के दिग्गज कोरियोग्राफर में शुमार रेमो ने अपने इंटरव्यू में एक और घटना का भी जिक्र किया है, जब उनको अपने रंग के कारण पुलिस के डंडे तक खाने पड़े थे.
बकौल रेमा- “जब मैं गुजरात से मुंबई आया तो मेरी हालत बहुत ठीक नहीं थी. मुझे काम चाहिए था, फिर वो चाहे किसी भी कीमत पर क्यों न मिले. रंगीला के दौरान हम बीच पर शूटिंग कर रहे थे. उस दिन सुरक्षा के लिए पुलिस बुलाई गई थी. मेरा डांस सीन भी उसी दिन शूट होना था, इसलिए मैंने टपोरी के कपड़े पहने हुए थे. मैं एक तरफ खड़ा था, तभी पुलिस वाले मेरी तरफ आए और मुझ पर डंडे बरसाने लगे. मैंने कहा कि मैं फिल्म का हिस्सा हूं, लेकिन पुलिस वालों ने कहा कि … तू शूट करेगा… शक्ल देखी है अपनी!”
हालांकि तभी क्रू वालों ने रेमो को देख लिया और उन्हें बचाया. रेमो अपने साथ ऐसे कई वाकये होने की बात कहते हैं. हालांकि आज लोग रेमों को जानते हैं और उनके साथ काम करना चाहते हैं. कुछ सालों से स्टार प्लस पर डांस प्लस नाम के डांस शो के कारण रेमो अब हर घर में पहचाने जाने लगे हैं. लेकिन काले रंग को लेकर रेमो डिसूजा और तमाम लोगों के साथ भेदभाव एक बार फिर फिल्म काला के संवाद को स्थापित करती है.
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डॉ. पूजा राय पेशे से शिक्षिका हैं। स्त्री मुद्दों पर लगातार लेखन के जरिय सक्रिय हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘आधी आबादी का दर्द’ खासी लोकप्रिय हुई थी।