डीडी डेस्क- दलित उत्थान की नींव रखने वाले बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का आज महापरिनिर्वाण दिवस है। वह स्वतंत्र भारत के सबसे प्रभावशाली और चर्चित शख्सियतों में से एक हैं। बाबासाहेब एक वकील, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महु नगर छावनी में हुआ था।
बाबा साहेब ने दलितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए उनके साथ हो रहे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान छेड़ा और दलित बौद्ध आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने मजदूरों, किसानों और महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों पर विशेष जोर दिया।
वर्ष 1990 में, बाबा साहेब को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया था, जिसे उनके समर्थक परिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाते हैं। अपने विचारों, आदर्शों और कार्यों के कारण, बाबा साहेब आंबेडकर सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व में पूजे जाते हैं।
बाबा साहेब अपने अनुयायियों से सदैव कहा करते थे कि “मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें”। आज उनके महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर पढ़िए उनके अनमोल विचार….
- जो कौम अपना इतिहास नही जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नही बना सकती है।
- महान प्रयासों को छोड़कर इस दुनिया में कुछ भी बहुमूल्य नहीं है।
- अगर मुझे लगा कि मेरे द्वारा बनाये गए संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा।
- स्वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।
- शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए।
- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूं।
- रात-रातभर मैं इसलिये जागता हूँ क्योंकि मेरा समाज सो रहा है।
- अपने भाग्य के बजाय अपनी मजबूती पर विश्वास करो।
- मैं राजनीति में सुख भोगने नहीं बल्कि अपने सभी दबे-कुचले भाइयों को उनके अधिकार दिलाने आया हूँ।
- मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सिखाये।
- मनुवाद को जड़ से समाप्त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्य है।
- जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बनाए रखे, वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
- मैं तो जीवन भर कार्य कर चुका हूँ अब इसके लिए नौजवान आगे आएं।
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