एक बहन को इस तरह भाई के शव पर चीखते सुनकर किसी का भी कलेजा फट जाएगा। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों की चमड़ी इतनी मोटी होती है कि उन पर जू तक नहीं रेंगती।
घटना मध्यप्रदेश के सागर जिले की है। सागर जिले में खुरई देहात थाना क्षेत्र के बरौदिया-नौनागिर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां दलित युवती से छेड़छाड़ के पुराने मामले में समझौता न करने पर युवती के 18 साल के भाई को मार डाला गया। मृतक की बहन के मुताबिक BJP मंत्री के गुंडों ने पीड़िता के 18 साल के उसके भाई की हत्या कर दी। यही नहीं, बेटे को बचाने आई मां को निर्वस्त्र कर मारपीट की गई। उनका मकान तोड़ दिया।
घटना बीते गुरुवार 24 अगस्त की है। घटना के बाद पुलिस ने शिकायत पर 9 नामजद और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। हालांकि कुछ आरोपी अब भी फरार है। उसमें एक आरोपी सरपंच पति भी फरार है।
मृतक की बहन ने बताया कि गांव के विक्रम सिंह, कोमल सिंह और आजाद सिंह घर पर आए थे। माँ से कहने लगे कि राजीनामा कर लो। माँ ने कहा कि जब पेशी होगी तो उसी दिन राजीनामा कर लेंगे। इस पर माँ से बोला कि बच्चों की जान प्यारी नहीं है क्या? ऐसी धमकी देकर वो चले गए। छोटा भाई बस स्टैंड के पास सब्जी लेने गया था। वहां से वापस घर आ रहा था, तभी रास्ते में आरोपी उसके साथ मारपीट करने लगे। मम्मी जब बचाने पहुंची तो मम्मी को भी पीटा और उनको 70 लोगों के सामने बेपर्दा कर दिया। मैंने हाथ-पांव जोड़े लेकिन मेरे भाई को नहीं छोड़ा। मेरा रेप करने की धमकी दी। मैंने जंगल में भाग कर अपनी जान बचाई।
पीड़ित परिवार का कहना है कि तमाम आरोपी भाजपा के एक मंत्री के गुंडे हैं।
इस घटना ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक को हिला कर रख दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती सहित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी इस मामले में मध्य प्रदेश की सरकार को जमकर घेरा है।
बता दें कि हाल ही में मध्यप्रदेश के सागर जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 100 करोड़ रुपये की लागत से रविदास मंदिर की नींव रखी। उसी जिले में दलित युवक को भाजपा के एक मंत्री के गुंडों ने ही मार डाला। साफ है कि दलितों के वोट के लिए तमाम दल और नेता बाबासाहेब आंबेडकर और सतगुरु रविदास सहित तमाम बहुजन महापुरुषों की प्रतिमाएं तो बनाने का ढोंग करती है, लेकिन दलितों पर अत्याचार रोकने के मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में आए दिन दलितों पर होने वाले अत्याचार की रिपोर्ट इसकी कहानी आप कहते हैं।

सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।